Pregnancy के पहले 3 महीनों में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं ?

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गर्भावस्था (Pregnancy), हर महिला के लिए एक बेहद सुखद एहसास होता हैं। अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की सही growth होने के लिए माँ ने समतोल पौष्टिक आहार या diet लेना बेहद जरुरी होता हैं। सम्पूर्ण प्रेगनेंसी में महिला का 11 Kg वजन बढ़ना जरुरी होता हैं। Pregnancy में अगर आप योग्य आहार नहीं लेती है तो इसका दुष्परिणाम आपके बच्चे पर हो सकता हैं।

बच्चे के सर्वांगीन विकास के लिए प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने (पहले 12 हफ्ते) बेहद महत्वपूर्ण होते हैं और इसलिए Pregnancy के इन पहले three months में महिला ने कैसा आहार लेना चाहिए और कौन सा आहार बिलकुल नहीं लेना चाहिए इसकी जानकारी आज इस लेख में हम आपको देने जा रहे हैं।

गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में कैसा आहार लेना चाहिए ? (First Trimester diet in Hindi)

Pregnancy के पहले 3 महीनो में महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। Pregnancy के पहले तीन महीनो में महिला का वजन 2 Kg तक बढ़ता हैं। इस दौरान महिला को जी मचलाना, वजन बढ़ना, कमजोरी, बार-बार पेशाब लगना, हॉर्मोन्स में बदलाव जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।

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सामान्यतः एक कामकाजी महिला को रोजाना 2100 Calories का आहार लेने की जरुरत होती हैं पर Pregnancy में महिला को 300 Calories अतिरिक्त यानि 2400 Calories युक्त आहार लेना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना 60 से 70 gm प्रोटीन, 1500 mg कैल्शियम, 4 mg फोलिक एसिड, 200 माइक्रोग्राम आयोडीन, 20 मिलीग्राम जिंक की आवश्यकता होती हैं।

  • जी मचलाना (Morning Sickness): Pregnancy के पहले तिमाही में महिला को होनेवाली यह एक गंभीर समस्या हैं। कई महिलाओं को इस समस्या के कारण बार-बार उलटी हो जाती है और ब्लड प्रेशर कम हो जाने के कारण हॉस्पिटल में दाखिल होना पड़ता हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए निचे दिए हुए उपाय आजमाए :
  1. रात को खाने में हल्का आहार लेना चाहिए।
  2. सोने से पहले एक ग्लास दूध पीकर सोना चाहिए।
  3. सुबह उठने के बाद भी तुरंत दूध पीना चाहिए।
  4. दिन में सुबह शाम भर पेट खाने की जगह हर 2-3 घंटे से हल्का आहार लेना चाहिए।
  5. तीखा, तलाहुआ, मसालेदार आहार से परहेज करे।
  6. रोजाना एक मौसमी फल अवश्य खाये।
  • सीने में जलन (Heart Burn): जिन महिलाओं को सीने में जलन की समस्या होती है उन्होंने भी जी मचलाने की समस्या के लिए दिए हुए उपाय का पालन करना चाहिए। इसके साथ सोते समय सिर की बाजु थोड़ी ऊँची रखनी चाहिए।
  • कब्ज (Constipation): कुछ महिलाओं को Pregnancy के पहले तीन महीनो में कब्ज की समस्या हो जाती है। इससे छुटकारा पाने के लिए दिनभर में कम से कम 12 से 14 ग्लास पानी पीना चाहिए। दिनभर में इतना पानी पीना चाहिए की आपकी जीभ कभी सुखी / dry न रहे। आहार में अधिक फाइबर युक्त आहार जैसे साबुत अनाज, हरी सब्जिया, फल का समावेश करे।

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  • फल (Fruits): रोजाना कम से कम एक बार कोई मौसमी फल अवश्य खाना चाहिए। अगर आप फ्रूट जूस पीना चाहती है तो दिन में एक कप से ज्यादा न पिए। जूस में कैलोरीज अधिक होती है और फाइबर कम होता हैं।
  1. गर्भावस्था में केला अवश्य खाना चाहिए। इसमें फाइबर, विटामिन C, पोटैशियम के साथ विटामिन B6 अधिक होता है जिससे Morning sickness से राहत मिलती हैं।
  2. रोजाना कोई साइट्रस फल जैसे निम्बू, संतरा या मौसंबी का रस अवश्य पिए क्योंकि इसमें Vitamin C के साथ फोलिक एसिड भी अधिक रहता हैं।
  • सब्जियां (Vegetables): रोजाना आहार में 2 से 3 बार ताजी हरी सब्जी का समावेश अवश्य करे। सब्जियों में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल, फोलिक एसिड और फाइबर होता हैं। आहार में पालक, पत्तागोभी, बीटरूट, भेंडी जैसे पौष्टिक सब्जिया जरूर लेना चाहिए।
  • दुग्ध उत्पाद (Dairy Products): दिन में दो बार दुग्ध पदार्थ अवश्य लेना चाहिए। इनमे विटामिन डी और कैल्शियम होता है जो बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए जरुरी होता हैं। हमेशा लो फैट और मलाई निकाला हुआ दूध पिए। सुबह भोजन के साथ आप ताजा दही भी ले सकती है जिसमे कैल्शिम और विटामिन डी के साथ probiotics की भरपूर प्रमाण में रहता है जिससे पाचन संबंधी समस्या निर्माण नहीं होती।
  • प्रोटीन (Protein): गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम Proteins मिलना चाहिए। गर्भवती महिला के गर्भाशय, स्तनों तथा गर्भ के विकास ओर वृद्धि के लिये Proteins एक महत्वपूर्ण तत्व है। प्रोटीन युक्त आहार मे दूध और दुध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, चिज़, काजू, बदाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि का समावेश होता है।
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गर्भावस्था में पहले तिमाही में क्या नहीं खाना चाहिए ? (Food to avoid in First Trimester of Pregnancy)

ऐसे कुछ आहार पदार्थ है जिनका सेवन करने से आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रतिकूल परिणाम पड़ सकता हैं। इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं।

प्रेगनेंसी में पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए ?

ऐसे तो पपीता एक पौष्टिक फल है पर इसमें मौजूद पपाइन एंजाइम से गर्भाशय संकोचन होने का खतरा रहता है क्योंकि ऐसा होने से एबॉर्शन हो सकता हैं। पपीता एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए इसके सेवन को लेकर कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। कच्चे पपीते में पेपेन नामक एंजाइम होता है, जो गर्भाशय को सिकुडने का कारण बन सकता है जिससे एबॉर्शन का खतरा बढ जाता हैं। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को केवल पके हुए पपीते का ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें पेपेन की मात्रा कम होती है। पपीते में बीटा-कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो अधिक मात्रा में लेने पर गर्भवती महिला के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन सौ ग्राम से अधिक पपीता नहीं खाना चाहिए।

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क्या गर्भावस्था में मछली जैसे समुद्री आहार खाना चाहिए ?

आपको पहले प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में समुद्री आहार पदार्थ (सी फ़ूड) भी नहीं खाना चाहिए क्योनी इनमे मर्क्युरी की मात्रा अधिक रहती हैं।

पहले तिमाही में कच्चे फल खाना चाहिए या नहीं ?

अक्सर महिला को प्रेगनेंसी की शुरुआत में खट्टा खाने की इच्छा होती है पर इसके लिए कच्चा या अधपका फल न खिलाये। इनसे एसिडिटी बढ़ने का खतरा रहता हैं।

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क्या आयुर्वेद के अनुसार प्रेगनेंसी में बैंगन खाना चाहिए ?

आयुर्वेद के अनुसार गर्भावस्था में बैंगन का सेवन भी अधिक नहीं करना चाहिए। अधिक बैगन खाने से हार्मोनल इम्बैलेंस होने का खतरा रहता हैं।

प्रेगनेंसी में धनिया खाने के दुष्परिणाम

प्रेगनेंसी में धनिया का सेवन भी कम करना चाहिए। धनिया खाने से गर्भाशय संकोचन होता है और गर्भाशय की सफाई के लिए इसका आयुर्वेद में उपयोग किया जाता हैं।

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प्रेगनेंसी में तिल (Sesame seeds) खाना सही या गलत ?

तिल का भी प्रेगनेंसी के first three months में अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके उपयोग से भी एबॉर्शन का खतरा रहता हैं।

प्रेगनेंसी में मेथी (Fenugreek) खाना चाहिए या नहीं ?

मेथी ऐसे तो एक पौष्टिक आहार पदार्थ है पर खासकर प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनो में इसका सेवन न करे। इससे भी गर्भाशय संकोचन हो सकता हैं।

अगर आपको प्रेगनेंसी के पहले से कोई रोग है जैसे की हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थाइरोइड या एसिडिटी की समस्या तो आपने अपने डॉक्टर से इन रोगो को काबू में रखने के लिए दवा और आहार संबंधी सलाह लेनी चाहिए। आप चाहे तो इसके लिए डायटीशियन की मदद भी ले सकते हैं। Pregnancy के first three months में आपके शरीर में होनेवाले बदलाव को देखते हुए आपने अपने Diet का खास ख्याल रखना चाहिए।

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