In Vitro Fertilization (IVF) क्या है और यह कैसे किया जाता हैं ?

In Vitro Fertilization को ही आईवीएफ (IVF) या कृत्रिम गर्भधारण नाम से जाना जाता हैं। माँ बनाने में दिक्क़ते आनेवाली महिलाओं के लिए यह एक तकनीक एक वरदान हैं। जब सारी तकनीकें फ़ैल हो जाती है तब आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया जाता हैं। IVF तकनीक निसंतान दंपत्ति के लिए आशा की एक किरण की तरह हैं। 

दुनियाभर में 15% से अधिक दंपतियों को गर्भधारण (Pregnancy) में अड़चने आती है। गर्भधारण करने में अड़चने आने से दंपति को तकलीफ होना स्वाभाविक है। ऐसे दंपत्ति को सामाजिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। दुनिया में सबसे पहला आईवीएफ पध्दतीसे जन्मा शिशु ब्रिटेन में 1978 में पैदा हुआ था। भारत में आईवीएफ से पहला शिशु 2011 में पैदा हुआ था। 

आज इस लेख में हम IVF यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन क्यों और कैसे किया जाता है इसकी संक्षिप्त जानकारी देने जा रहे हैं :

 

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) कैसे किया जाता हैं ? 

(In-Vitro-Fertilization in Hindi)

IVF in Hindi

आईवीएफ तकनीक का प्रयोग कब किया जाता हैं ?

बांझपन में कई कारण हो सकते हैं। 40 फ़ीसदी मामलों में पुरुषों में यह समस्या होती है और इतने ही मामलों में महिलाएं किसी समस्या से ग्रस्त हो सकती है। वही 10 फ़ीसदी मामलों में महिला और पुरुष दोनों में समस्या हो सकती है और बाकी 10% जोड़ों में बांझपन की कोई विशेष वजह दिखाई नहीं देती। हर दंपत्ति की अपनी विशेषताएं, गुण होते हैं जिनके आधार पर यह प्रक्रिया तय होती है। 


पुरुषों में पाए जाने वाला बांझपन, एंडोमेट्रिओसिस, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, पीसीओएस और अंडाशय में बीज तैयार करने की क्षमता कम होना यह कुछ सामान्य लक्षण हैं जिनकी वजह से आई वी एफ तकनीक का उपयोग किया जाता है। जिनकी फॉलोपियन ट्यूब बंद हैं, नसबंदी की गयी हैं, शुक्राणु कमजोर या शुक्राणु की कमी या 35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में भी आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया जाता हैं। 

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन / कृत्रिम गर्भाधान कैसे किया जाता हैं ? 

इस समस्या को कई तरक तरीके से ठीक किया जा सकता है। जैसे कुछ महीनों तक रुक कर परिस्थितियों को सुधारने की प्रतीक्षा करें या फिर आधुनिक तकनीक से इलाज कराएं। सच तो यह है कि गर्भधारण किस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं जैसे हारमोनल ऐसे, इंडोस्कोपी फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग। ओवेरियन स्टिमुलेशन और आईयूआई इत्यादि। 

बांझपन की समस्या पर इलाज कराने वाले रोगियों में से लगभग हर 5 व्यक्ति को आईवीएफ तकनीक की मदद लेने की जरूरत पड़ती है। बाकी लोगों में से ज्यादातर लोगों पर बुनियादी तरीकों से किए गए इलाज सफल होते हैं। जो दंपत्ति आखिर IVF का सहारा लेते हैं उन पर किए जाने वाले उपचारों में भी कई प्रकार की विभिन्नता होती है। 

  • आईवीएफ तकनीक के शुरुआती स्तर पर रोगी को गोनडोट्रोफिन्स (प्रजनन हॉर्मोन्स) के इंजेक्शन 10 से 15 दिनों तक दिए जाते हैं जिससे अंडेदानी में बेहतर अंडे निर्माण हो सके। 
  • इसके बाद जनरल एनेस्थीसिया देकर ऊसाइड पिकअप नामक एक प्रक्रिया की जाती है जिसमें अंडाणु को पुनः प्राप्त करने के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन का उपयोग किया जाता है और सुई से सारे अंडे निकाल लिए जाते हैं। 
  • इनक्यूबेटर में बीज को सुरक्षित तरीके से स्थापित करने के बाद शुक्राणु और बीज को एक साथ लाने के लिए योग्य विधि निश्चित की जाती है। 
  • यह प्रक्रिया आईवीएफ तकनीक से हो सकती है जिसमें हर बीच के लिए एक लाख शुक्राणु रखे जाते हैं या फिर इंट्रा साइटोंप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) इस तरीके में हर बीच के साथ एक शुक्राणु को स्वतंत्र रूप से इंजेक्ट किया जाता है। 
  • एक बार यह उर्वरण विधि पूरी होने के बाद जो भ्रूण तैयार होते हैं उन्हें अलग-अलग समय के लिए इनक्यूबेटर में रखा जाता है। 
  • इस समय के पूरे होने पर सबसे अच्छे गर्भ को चुनकर उसे गर्भाशय में पुनः स्थापित किया जाता है। इस प्रक्रिया को एम्ब्र्यो ट्रांसफर कहते हैं। 
  • इस तरह से गर्भ को गर्भाशय में पुनः स्थापित करने के बाद गर्भाशय की अंदरूनी परत और गर्भ इन दोनों के पारस्परिक प्रभाव पर इस तकनीक की सफलता निश्चित होती है। अगर इन दोनों का संबंध अच्छा रहा तो गर्भधारण की प्रक्रिया सफल होती है और ऐसा ना होने पर गर्भ सूख जाता है और गर्भधारण नहीं हो पाता। 
  • आईवीएफ तकनीक में एकबार में 45 से 55 % सफलता मिल सकती है। किसी डोनर का एग इस्तेमाल करने पर सफलता का दर 60 % तक बढ़ जाता हैं। 
  • बगैर सेहत को नुक्सान पहुंचाए यह तकनीक 3 से 4 बार की जा सकती हैं। 
  • आईवीएफ तकनीक में हॉस्पिटल का खर्चा 80 हजार से 1.5 लाख तक आ सकता हैं। 
  • 23 से 40 वर्ष की महिलाओं में आईवीएफ का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। 
  • शराब पिने वाली और धूम्रपान करने वाली महिलाओं में आईवीएफ सफल नहीं होती। 
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) / आईवीएफ तकनीक एक बार में सफल न होने पर दोबारा 3 से 4 बार बिना महिला को तकलीफ हुए की जा सकती हैं। बांझपन की समस्या से परेशान लोगो के लिए यह एक बेहद उपयोगी तकनीक है और भारत में भी अब कई शहरों में इसकी सुविधा उपलब्ध हो चुकी हैं। 
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