आमतौर पर 34 से 35 साल की उम्र के बाद व्यक्ति को थकान महसूस होने, वजन बढ़ने की शिकायत होने, हार्ट प्रॉब्लम व डायबिटीज के मरीजों को डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल / Cholesterol की जांच Lipid Profile Test कराने की सलाह देते हैं। Lipid Profile Test को Lipid Panel या Coronary Risk Panel Test भी कहा जाता हैं।
लिपिड / Lipid, वसायुक्त पदार्थ होता हैं जो कोलेस्ट्रॉल के रूप में शरीर में मौजूद होता हैं। सामान्य तौर पर हमें High Density Lipo protein (HDL) यानि अच्छा कोलेस्ट्रॉल और Low Density Lipoprotein (LDL) यानि बुरा कोलेस्ट्रॉल इतनी जानकारी होती हैं। रक्त में लिपिड की मात्रा सामान्य से अधिक होने पर यह रक्त वाहिनी में जमकर रूकावट या ब्लॉकेज पैदा करता हैं, जिससे रक्तसंचार प्रभावित होता हैं।
Lipid Profile Test क्या हैं, यह क्यों की जाती हैं और इस जांच से हमें क्या पता चलता हैं इस सभी प्रश्नों की पूरी जानकारी निचे दी गयी हैं :
Lipid Profile Test क्या हैं और क्यों किया जाता हैं ?
Lipid Profile Test के तहत 5 तरह की टेस्ट किये जाते हैं। इसमें Total Cholesterol, High Density Lipo protein (HDL), Low Density Lipoprotein (LDL), Very Low Density Lipoprotein (VLDL), और Tryglycerides की जांच होती हैं। सभी टेस्ट के लिए सिर्फ एक बार ब्लड सैंपल लिया जाता हैं। इसके बेहतर परिणाम के लिए टेस्ट के 9 से 12 घंटे पहले से मरीज को खाली पेट होना जरुरी हैं। मरीज को पानी दे सकते हैं पर कोई आहार या अन्य पेय पदार्थ नहीं लेना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल पूरी तरह से ख़राब या अच्छा नहीं होता हैं। इस टेस्ट से हमें पता चलता है की हमारे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल और बुरे कोलेस्ट्रॉल कितना हैं। ह्रदय के लिए हानिकारक tryglycerides कितना है और रिपोर्ट के आधार पर हम दवा के साथ अपने आहार-विहार में बदलाव कर आगे होनेवाले खतरे को रोक सकते हैं।
लिपिड / Lipid, वसायुक्त पदार्थ होता हैं जो कोलेस्ट्रॉल के रूप में शरीर में मौजूद होता हैं। सामान्य तौर पर हमें High Density Lipo protein (HDL) यानि अच्छा कोलेस्ट्रॉल और Low Density Lipoprotein (LDL) यानि बुरा कोलेस्ट्रॉल इतनी जानकारी होती हैं। रक्त में लिपिड की मात्रा सामान्य से अधिक होने पर यह रक्त वाहिनी में जमकर रूकावट या ब्लॉकेज पैदा करता हैं, जिससे रक्तसंचार प्रभावित होता हैं।
Lipid Profile Test क्या हैं, यह क्यों की जाती हैं और इस जांच से हमें क्या पता चलता हैं इस सभी प्रश्नों की पूरी जानकारी निचे दी गयी हैं :
Lipid Profile Test क्या हैं और क्यों किया जाता हैं ?
Lipid Profile Test information in Hindi
Lipid Profile Test के तहत 5 तरह की टेस्ट किये जाते हैं। इसमें Total Cholesterol, High Density Lipo protein (HDL), Low Density Lipoprotein (LDL), Very Low Density Lipoprotein (VLDL), और Tryglycerides की जांच होती हैं। सभी टेस्ट के लिए सिर्फ एक बार ब्लड सैंपल लिया जाता हैं। इसके बेहतर परिणाम के लिए टेस्ट के 9 से 12 घंटे पहले से मरीज को खाली पेट होना जरुरी हैं। मरीज को पानी दे सकते हैं पर कोई आहार या अन्य पेय पदार्थ नहीं लेना चाहिए। - Total Cholesterol : इसका सामान्य स्तर 160 से 250 mg/dl होता हैं। मात्रा अधिक होने पर शरीर के सभी अंगों में रक्तसंचार प्रभावित होने पर हार्ट से जुडी समस्या निर्माण हो सकती हैं।
- High Density Lipoprotein (HDL) : शरीर में इसका सामान्य स्तर 40 से 60 mg/dl होता हैं। सामान्य से अधिक होना अच्छा माना जाता हैं। कम होने से ह्रदय को नुक्सान पहुच सकता हैं। व्यायाम और योग करने से यह बढ़ता हैं। यह शरीर से बुरे कोलेस्ट्रॉल को निकलने में मदद करता हैं।
- Low Density Lipoprotein (LDL) : शरीर में इसका सामान्य स्तर 100 mg/dl से कम होना चाहिए। अधिक होने पर रक्त धमनी में खून का थक्का जमने (Thrombosis) का खतरा होता हैं। अवश्य पढ़े : LDL या ख़राब कोलेस्ट्रॉल को कम करने का डाइट चार्ट
- Very Low Density Lipoprotein (VLDL) : शरीर में इसका सामान्य स्तर 30 mg/dl से कम होना चाहिए। यह कोलेस्ट्रॉल को जमाता हैं।
- Tryglycerides : शरीर में इसका सामान्य स्तर 150 mg/dl से कम होता हैं। जब हम कुछ खाते है तो शरीर उस आहार से निर्मित अतिरिक्त ऊर्जा को Tryglycerides के रूप में फैट कोशिका में जमा करता हैं। यह अधिक होने पर ह्रदय रोग होने की आशंका होती हैं। मधुमेह रोगी, मोटापे से पीड़ित, अधिक मीठा खानेवाले और शराब पीनेवालों में इसकी मात्रा अधिक पायी जाती हैं।
कोलेस्ट्रॉल पूरी तरह से ख़राब या अच्छा नहीं होता हैं। इस टेस्ट से हमें पता चलता है की हमारे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल और बुरे कोलेस्ट्रॉल कितना हैं। ह्रदय के लिए हानिकारक tryglycerides कितना है और रिपोर्ट के आधार पर हम दवा के साथ अपने आहार-विहार में बदलाव कर आगे होनेवाले खतरे को रोक सकते हैं।
अवश्य पढ़े : कोलेस्ट्रॉल से जुड़े मिथक और सच्चाई !
आज के दौर में 30 वर्ष की आयु के बाद हर पुरुष और महिला से कम से कम वर्ष में एक बार यह जांच अवश्य करानी चाहिए। अगर आपके माता या पिताजी को ह्रदय रोग है तो 25 वर्ष के आयु के बाद ही जांच कराना शुरू कर देना चाहिए।
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