कैसा होना चाहिए स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान माँ का आहार ?

कैसा होना चाहिए स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान माँ का आहार ?
माँ बनना स्त्री के जीवन में गौरव की बात होती है और स्तनपान (Breastfeeding) कराना स्त्री का परम सौभाग्य होता है। अक्सर माताओं के सामने यह समस्या होती है कि वह स्तनपान के दौरान अपना आहार-विहार (Diet & Lifestyle) कैसे रखें क्योंकि उन्हें अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य की फिक्र रहती है और ऐसे में जब उन्हें अपने रिश्तेदार, अडोस-पडौस या डॉक्टर से अलग-अलग सलाह मिलती है तो वे और भी कंफ्यूज हो जाती है । इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने यह लेख लिखा है और कोशिश की है आपको पौष्टिक और आसान आहार बता सके जो माता और शिशु दोनों के लिए सही हो। 

स्तनपान के दौरान आपको एक विशेष बात का ख्याल रखना है कि आपका आहार पोष्टिक हो और आपकी जरूरत के हिसाब से हो यानी कि आपको जितनी बार भूख लगे आप उतनी बार खाना खा सकते हैं क्योंकि स्तनपान आपकी भूख भी बढ़ाता है अतः अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। 

स्तनपान के दौरान माता ने कैसा आहार लेना चाहिए इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

कैसा होना चाहिए स्तनपान के दौरान माता का आहार ? (Diet plan for Breastfeeding Mother in Hindi)

गर्भावस्था के दौरान अधिकतर जिस प्रकार के पौष्टिक आहार का चयन करते हैं वह प्रक्रिया आपको अभी भी शुरू रखनी चाहिए आपका आहार न सिर्फ पौष्टिकता से पूर्ण बल्कि संतुलित भी होना चाहिए। आहार ऐसा हो जो प्रोटीन, कैल्शियम , आयरन और खासकर विटामिन  A , B 12 , C और जिंक जैसे खनिज से भरपूर हो, साथ ही जो आपको अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करे। कोशिश करें कि अधिक फैट और चीनी युक्त खाद्य पदार्थ कम ले, इनमें अधिक कैलोरीज के बावजूद पोषण मूल्य कम होता है। 

महिलाओं को आहार का चयन इस बात पर भी निर्भर करता है कि स्तनपान के शुरुआती 6 महीने है या अगले 6 से 12 महीने का समय क्योंकि शुरुआत 6 महीने में आहार की आवश्यकता, प्रोटीन और एनर्जी की मात्रा अधिक होती है। 

  • अपने आहार में दूध और दूध के उत्पादन, पुर्ण अनाज ( गेहूं, ज्वार, चावल, बाजरा, रागी, नाचनी आदि ), दालें,  फलिया,  हरी सब्जियां जैसे मेथी, पालक, बथुआ, सरसो एवं ताजे फलों खासकर ऑरेंज, निम्बू, पाइनापल, आम, पपया आदि का सेवन अधिक करें।  सिंगदाना, गुड़, नारियल आदि अधिक मात्रा में ले।
  • कुछ विशेष खाद्य पदार्थ है जो स्तनपान कराने वाली माताओं को दिए जाते हैं जिनसे माताओं को मदद मिलती है। हालाँकि इनका सेवन सिमित मात्रा में करना चाहिए।
  • मेथी के बीज : मेथी में ओमेगा 3 वसा, बीटा केरोटीन, विटामिन, आयरन, कैल्शियम आदि का समावेश होता है जो माता और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इन बीज का उपयोग हम सब्जी, परांठे, पूरी आदि में कर सकते हैं।
  • सौंफ : शिशु को गैस और पेट दर्द से बचाने के लिए नई मां को सौंफ दी जाती है।
  • जीरा : कैल्शियम और राइबोफ्लेविन से समृद्ध जीरा स्तन्य वृद्धि के साथ अपचन, कब्ज और पेट फुलना आदि से भी राहत देता है।
  • तिल के बीज : तिल के बीज में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जो कि स्तन्य आपूर्ति के लिए जरूरी होता है। तिल का उपयोग हम लड्डू,  पूरी, खिचड़ी, बिरयानी आदि में कर सकते हैं।
  • तुलसी : तुलसी से स्तन्य वृद्धि तो नहीं होती है पर इम्यूनिटी बढ़ाने में यह सहायता करती है।
  • सुवा : आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम से भरपूर सुवा के पत्ते दुग्ध उत्पत्ति के साथ पाचन और नींद में भी सहायक होते हैं।
  • सब्जी : लौकी, तोरी जैसी सब्जियां स्तन्य बनाती है, पौष्टिक होकर भी कम कैलोरी युक्त होती है। साथ ही आसानी से पच जाती है। पालक, मेथी, सरसों बधुआ जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन, कैल्शियम और फोलेट जैसे खनिजों के स्रोत से समृद्ध होती है।
  • अवश्य पढ़े – कब और कैसे कराए बच्चे को स्तनपान ?
  • स्तनपान कराने वाली माता के आहार में दिनभर में कम से कम 500 ml दूध जरूर होना चाहिए।
  • आहार में भोजन के बीच या जब भी जरूरत हो लिक्विड की मात्रा अधिक से अधिक रखें जैसे दाल , नारियल पानी, छांछ, लस्सी , ताजा फलों का रस , नींबू पानी आदि।  कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचे।
  • दाल में रोटी चूरकर खाएं इससे दाल अधिक मात्रा में खा  पाएंगे। विशेषतः मसूर की दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीए। हो सके तो सुबह  उठने के बाद दोपहर और रात में एक-एक ग्लास गर्म पानी पिए।
  • स्तनपान के दौरान 5 से 6 बार आहार ले। जैसे की सुबह में दूध, फिर नाश्ता, मध्य सुबह का खाना ( 11 बजे के करीब जूस आदि ), लंच, मध्य दोपहर का खाना, शाम का आहार ( हल्का नाश्ता ), चाय या दूध , डिनर इस तरह से अपने आहार की योजना बनाये।
  • पारंपरिक तौर पर स्तनपान कराने वाली माताओं को घी और मेवे से बने व्यंजन लड्डू आदि खिलाए जाते हैं लेकिन इनका उपयोग सीमित मात्रा में करें। वैसे तो मेवे काफी स्वास्थ्यकर होते हैं पर चीनी और घी की अधिक मात्रा की वजह से ये व्यंजन अधिक कैलोरीयुक्त हो जाते है। अतः इनका इस्तेमाल कम करें आप चाहे तो मेवों को दलीया, खीर आदि में डाल कर खाएं जिससे कि आप अधिक कैलोरी से बच सकते हैं।
  • स्तनपान के दौरान आप वैसे तो अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थ ले सकते हैं पर कभी कभी देखने में आता है कि कुछ शिशु किसी विशिष्ट आहार सेवन पर अलग प्रक्रिया दिखाते हैं जैसे कि पेट दर्द,  चिड़चिड़ापन, अधिक रोना आदि। इसके पीछे कोई ठोस प्रमाण नही है। कभी-कभी इन प्रतिक्रियाओं की वजह कुछ अलग भी हो सकती है जैसे की नींद पूरी न होना, पेट भरा न होना, स्तनपान के बाद बच्चे को ठीक से डकार न देना या पेट में गैस आदि।
  • ऐसा माना जाता है कि दूध और दुग्ध उत्पादन की वजह से कई बच्चों में पेट दर्द की शिकायत होती है और माता वो आहार लेना बंद कर दें तो शिशु को राहत भी मिलती है। इसी तरह कुछ अन्य खाद्य पदार्थ है जिस वजह से पेट दर्द हो सकता है जैसे कि बेसन,पत्तेदार सब्जियां ,प्याज,  पत्तागोभी ,  मसालेदार भोजन , राजमा , सोयाबीन।
  • अगर आपको ऐसा लगता है कि बच्चा कोई आहार को लेकर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया दिखाता है तो कुछ दिन के लिए बंद कर दीजिए।
  • आहार के साथ-साथ आपको डॉक्टर की सलाह से आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम की उचित मात्रा लेना जरूरी होता है। कोई भी अलग दवाई लेने से पूर्व डॉक्टर की सलाह अवश्य ले क्योंकि कई दवाइयों का माता के दूध में अवशोषण होता है जिससे शिशु को नुकसान हो सकता है।
  • हर बार स्तनपान से पूर्व एक ग्लास पानी या अन्य कोई तरल अवश्य लें क्योंकि स्तनपान कराते समय शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन निकलता है जिसकी वजह से प्यास लगती है अतः जब भी प्यास लगे पानी पिए। अपने यूरिन के कलर पर ध्यान दें अगर हल्का पीला हो तो समझ लीजिए की आप पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ ले रहे हैं। अगर गहरा पीला हो तो आप के शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा कम है अतः लिक्विड की मात्रा बढाये।

याद रखिए Breastfeeding बच्चे की भविष्य की सर्वोत्तम कुंजी होती है। स्तनपान करने वाले बच्चे का बौद्धिक विकास तेजी से होता है। ऐसे बच्चे सुद्रुढ , सक्रिय और होशियार होते हैं इसीलिए स्तनपान के दौरान हमें आहार का चयन उचित और संतुलित मात्रा में करना चाहिए ताकि हम हमारे बच्चे की स्वास्थ्य की नींव मजबूत कर सके। 

मैं यहाँ पर विशेष धन्यवाद देना चाहूंगा सिलवासा के डॉ भावना त्रिवेदीजी का जिन्होंने यह महत्वपूर्ण जानकारी हमें ईमेल द्वारा भेजी है और इसे यहाँ प्रकाशित करने की अनुमति दी हैं। 

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