अस्थमा इन अस्थमा का कारण, लक्षण और ईलाज

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आज भारत में बढ़ते प्रदूषण और लोगों की बिगड़ती जीवनशैली के कारण दमा या अस्थमा (Asthma) के रोगियों की संख्या में तेज़ी बढ़ोतरी हो रही हैं। आज लगभग हर आयु के लोगों में अस्थमा के रोगी पाए जाते हैं। अस्थमा को मेडिकल भाषा में Bronchial Asthma या Allergic Bronchitis भी कहते हैं। आयुर्वेद में इस रोग का सम्पूर्ण वर्णन श्वास रोग के अंतर्गत किया गया हैं। 

अस्थमा की जानकारी

Asthma रोग की अधूरी जानकारी और सोशल मीडिया से मिलने वाले असत्य जानकारी के कारण कई लोग केवल अस्थमा रोग का नाम लेकर ही घबरा जाते है। आज इस लेख में मैं अस्थमा के कारण, लक्षण और उपचार से जुड़ी सारी जानकारी विस्तार में देने जा रहा हूँ। यह लेख थोड़ा बढ़ा हो सकता है पर पूरी जानकारी आप तक पहुँचाना मेरा कर्तव्य इसलिए आपसे निवेदन है कि लेख पूरा पढ़े।

अस्थमा क्या है? (What is Asthma in Hindi)

अस्थमा को दमा या श्वास रोग भी कहा जाता है। यह श्वसन नलिका और फेफड़ों की एक बीमारी है जो अकसर एलर्जिक होने के कारण आजीवन रहती है। फेफड़ों में कफ़ जम जाने और श्वसन नलिका में सूजन के कारण रोगी को सांस लेने में तकलीफ़ होती है और समय पर ईलाज न मिलने पर रोगी की तबियत गंभीर हो सकती है।

अस्थमा का कारण क्या है? (Asthma causes in Hindi)

अस्थमा होने के प्रमुख कारण इस प्रकार है :

  • संवेदनशील होना (Allergy): साँस लेते समय बाहरी वातावरण से कण फेफड़ों (Lungs) के अंदर पहुँच जाते है । सामान्य स्थिति में हमारा शरीर ऐसे कण को खांसी से बलगम के द्वारा बाहर निकाल देता है। अस्थमा के मरीज में ऐसे बाहरी कण के विरुद्ध एलर्जी होने से अत्याधिक और गाढ़ा बलगम बनता  है। ऐसे बाहरी कण को Allergen कहते है, क्योंकि उनसे अस्थमा के मरीज को Allergy होती है।
  • सुजन (Inflammation): साँस के नली में सुजन आने के कारण सांस नाली में अवरोध निर्माण होने से अस्थमा के मरीज को साँस लेने में तकलीफ होती है।
  • संकीर्ण होना (Narrow Airway): श्वसन नलीका के चारो तरफ मांसपेशियाँ होती है । सामान्य स्थिति में मांसपेशियाँ ढीले पड़े रहती है , लेकिन अस्थमा के रोगी में अस्थमा के हमले के दौरान यह मांसपेशियाँ श्वसन नलिका को चारों तरफ से कस देते है। इस कारण साँस की नली संकीर्ण या छोटी हो जाती है।

अस्थमा के लक्षण क्या है? (Asthma symptoms in Hindi)

अस्थमा के लक्षण इस प्रकार हैं:

  • साँस छोड़ते समय खांसी होना।
  • लगातार खांसी आने के कारण बोलने में तकलीफ़ होना।
  • खांसी जो सुबह में या रात में ज़्यादा गंभीर हो जाती है। 
  • सामान्य से तेज साँस चलना या साँस लेने में तकलीफ होना। 
  • घबराहट होना, धड़कन तेज होना।
  • सीने में कफ जमा हुआ लगना। 
  • फेफड़े में संक्रमण (Infection) होना।
  • साँस छोड़ते समय सिटी जैसा आवाज निकलना। 
  • बार बार छोटे छोटे साँस लेना।  
  • थकावट और कमजोरी महसूस होना।
  • लेटने पर साँस लेने में तकलीफ़ होना और बैठने पर थोड़ी राहत मिलना।
  • खून में Oxygen की मात्रा कम होना। 

ज़रूरी नहीं है कि यह सभी लक्षण अस्थमा के हर रोगी में आपको देखने मिलेंगे। अस्थमा का दौरा कितना अधिक है और आपके फेफड़े कितने स्वस्थ है इन पर भी लक्षण निर्भर करते है।

अस्थमा रोग बढ़ने के क्या प्रमुख कारण है? (Asthma triggers in Hindi)

हमारे घर के अन्दर और बाहर ऐसे अनेक कारक होते है जिस कारण Asthma की शुरुआत हो सकती है। यह कारण नीचे दिए गए है :-

हवा प्रदूषण (Air Pollution)

हवा में प्रदूषण यह अस्थमा का एक प्रमुख कारण है। प्रदूषित हवा श्वसन नलिका में जाकर अस्थमा की शुरुआत होती है। 

  • गाड़ियों से निकलता धुआँ
  • धूम्रपान करना या धूम्रपान कर रहे व्यक्ति के पास खड़ा रहना । याद रहे धूम्रपान कोई भी करे
  • सिगरेट या बीड़ी से निकल रहा धुआँ का बुरा असर सब पर होता है। 
  • Perfume, Deo, Spray , साबुन, जेल आदि की उग्र गंद से। आपको जिस गंद की एलर्जी हो उस गंद से तकलीफ हो सकती है, ज़रूरी नहीं है की सभी अस्थमा के मरीज में एक जैसी गंद (smell) से एलर्जी हो।  
  • फूलो के पराग कण (Pollen) से अस्थमा हो सकता है। 
  • दिवार पर लगाये गए तेलयुक्त रंग (Oil Paint) से। 

वातावरण में होनेवाले बदलाव के कारण 

वातावरण में होनेवाले अचानक बदलाव के कारण अस्थमा का हमला हो सकता है या अस्थमा बढ़ सकता है। अचानक बादल आना, बारिश होना, मौसम ठंडा या Air Conditioner की ठंडी हवा में साँस लेने के कारण अस्थमा हो सकता है। 

मानसिक उत्तेजना 

जोर से हंसने से, अत्यधिक रोने से और चिल्लाने के समय अधिक तेज साँस लेने के कारण भी अस्थमा का हमला हो सकता है। आवेश में आ जाने के कारण भी अस्थमा के रोगी में मानसिक उत्तेजना के कारण अस्थमा का हमला हो सकता है। 

गहरी साँस लेने से 

अत्याधिक कसरत / व्यायाम करने से या खेलने के समय गहरी साँस लेने के कारन अस्थमा का हमला हो सकता है।अस्थमा के रोगी बच्चों को खेलने से आधा घंटे पहले अस्थमा की दवाई लेनी चाहिए।

घर के अन्दर के प्रदूषण से

घर के अन्दर की ऐसी चीज़ जिस कारण अस्थमा हो सकता है  :-

  • घर के पालतू जानवर के बाल 
  • घर की दिवार गीली रहने पर उस पर उगने वाले Fungus  
  • तिलचिट्टा (Cockroach) की खाल , छोटे कीटाणु (House Dust Mite)
  • खाना का कोई ऐसा पदार्थ जिससे एलर्जी हो जैसे की दूध, मछली, टमाटर, अंडा आदि
  • मिलावटी केमिकल युक्त खाना 
  • कपडे धोने का साबुन , detergent इत्यादि की एलर्जी के कारण
  • धुल ,कचरा, मिट्टी या धुआँ के कारण  

बीमारी 

नाक ,कान और गले में होनेवाली बीमारी का शुरुआती दौर में सही इलाज ना करने पर उसका संक्रमण श्वसन नलिका में फैलने से अस्थमा बढ़ सकता है। सर्दी, नाक बंद होना या गले में ख़राश होना जैसे लक्षण नज़र आने पर तुरंत ही डॉक्टर से मिलकर इन्हें यही रोक देना बेहतर होता है अन्यथा संक्रमण नाक और गले से होकर फेफड़ों तक पहुँच जाता है।

GERD (Gastro-esophageal reflux disorder) 

गले में खट्टी डकार आने से या आधा पचा हुआ खाना अन्न नलिका (Oesophagus) से श्वसन नलिका में जा सकता है और इस कारण अस्थमा हो सकता है। 

हार्मोन्स में बदलाव 

मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हार्मोन्स के बदलाव के कारण अस्थमा हो सकता है।

दवाइयाँ

कुछ दवाइयाँ के कारण भी अस्थमा बढ़ सकता है। जैसे की :-  

  • Aspirin, Ibuprofen, Diclofenac इत्यादि दर्दनाशक दवाई  (NSAID)
  • ब्लड प्रेशर कम करने में उपयोग में आनेवाली Atenolol, Metoprolol इत्यादि Beta Blockers दवा
  • Ramipril, Enalapril इत्यादि ए .सी .ई इनहीबिटर दवा   

अस्थमा का ईलाज क्या है ? (Asthma treatment in Hindi)

अस्थमा की चिकित्सा में कई प्रकार की दवा का उपयोग किया जाता है। अस्थमा के चिकित्सा में उपयोग की जानेवाली मुख्य दवा की जानकारी नीचे दी गई है :

अस्थमा की चिकित्सा में उपयोग में आने वाली दवा का मुख्य उद्देश कुछ इस प्रकार है –

श्वसन नलिका में वायु मार्ग खोलना (Bronchodilators)

  • यह दवा श्वसन नलिका के आसपास की मांसपेशियों को आराम देता है, श्वसन नलिका के वायु मार्ग को चौड़ा करता है और हवा के प्रभाव में सुधार लाता है। इन दवाइयों को आमतौर पर साँस के द्वारा लिया जाता है। 
  • Bronchodilators का एक प्रकार Beta Agonist कहलाता है, यह हलके और कभी कभी आनेवाले लक्षणों के बचाव दवा के रूप में दौरे को रोकता है। यह श्वसन यन्त्र के द्वारा साँस में जा सकता है या Nebuliser के साथ लिया जा सकता है। 
  • अस्थमा के नियंत्रण के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। 
  • यह अस्थमा के तीव्र हमले के दौरान इतने लाभदायक नहीं है क्योंकि ये काम शुरू करने में लम्बा समय लेते है।
  • इन दवा में शामिल है – Salbutamol, Salmeterol, Theophylline, Ipratropium, Doxofylline

एलर्जी कारको के प्रति आपके शरीर की प्रतिक्रिया कम करना  – Anti Allergy

  • अस्थमा का प्रमुख कारण एलर्जी है।
  • एलर्जी के कारण शरीर में Histamine का अधिक स्राव होना है और कफ़ का निर्माण होता है और इसलिए एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए अस्थमा में Cetrizine, Levocetrizine, Fexofenadine जैसी Anti Allergic दवा का उपयोग किया जाता है।
  • अस्थमा के दौरे से बचने के लिए आप इन दवा का बारिश के दिनों में और ठंड के दिनों में रोज़ाना अपने डॉक्टर की राय लेकर कर उपयोग कर सकते है।

आपके श्वसन नलिका के वायु मार्ग की सुजन कम करना – Anti Inflammatory : Steroids 

  • एलर्जी कारको के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया कम करने के लिए और श्वसन नलिका के वायु मार्ग की सुजन कम करने के लिए steroids दवा का इस्तेमाल किया जाता है। 
  • यह दवा मौखिक और श्वसन मार्ग दोनों तरह से उपयोग में ली जा सकती है। 
  • Steroids दवा दुधारी तलवार की तरह होती है। इस दवा का इस्तेमाल सही ढंग से ना करने पर शरीर को नुकसान भी हो सकता है। अस्थमा के तीव्र हमले के समय यह दवा जीवन रक्षक सिद्ध होती है। यह दवा शुरू करने पर इसका dose धीरे-धीरे कम कर दवा बंद करना होता है।
  • कभी भी Steroid दवा बिना डॉक्टर की सलाह लिए शुरू या बंद नहीं करना चाहिए।
  • अस्थमा में Methyl Prednisolone, Dexamethasone, Hydrocortisone, Budesonide जैसे steroid दवा का इस्तेमाल किया जाता है।

Inhalers

  • इनहेलर ने अस्थमा के रोगियों की जिंदगी आसान बना दी है। इनके उपयोग से अस्थमा रोगियों की सामान्य दैनिक कार्य करना आसान हो गया है। इनहेलर को मुह में लगाकर दवा को साँस द्वारा अन्दर खींचने पर दवा सीधी और तुरंत फेफड़ों में श्वसन नलिका में जाती है और इस कारण इनहेलर ज्यादा असरदार साबित होते है।
  • आमतौर परा अस्थमा में दवा मुँह से लेने से फेफड़े तक सिर्फ 60 % ही दवा पहुँच पाती है पर  इनहेलर द्वारा दवा लेने पर दवा सीधी फेफड़ों में पहुँचने से इसकी खुराक भी कम लगती है।
  • अध्ययनों से पता चला है की इनहेलर का इस्तेमाल करने वाले अस्थमा के रोगी को अस्पताल में दाखिल होने की कम ज़रूरत पड़ती है और साथ ही यह रोगी काम और स्कूल एवं कॉलेज मे नियमित रूप से उपस्थित रहते है।
  • इनहेलर में Bronchodilator और Steroid दोनों दवा का उपयोग हो सकता है और इनका परिणाम भी जल्द और असरदार होता है इसलिए बार बार अस्थमा की तकलीफ़ होने पर इनहेलर के उपयोग से नहीं हिचकिचाना चाहिए।

रक्त संकुलता कम करना – Decongestant

अस्थमा में फेफड़ों में काफ़ी गाढ़ा कफ़ जम जाता है जिसे निकालना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में Ephedrine, Oxymetazolin, Phenlephrine, Pseudoephedrine जैसे decongestant दवा कफ़ को पतला कर देते है जिसे निकालना अस्थमा के रोगी को आसान हो जाता है।

अन्य (Others)

इसके अलावा रोगी की स्तिथि के अनुसार Antibiotics, Multi Vitamins और Pain Killer दवा भी ज़रूरत पड़ने पर रोगी को दी जाती है।

महत्वपूर्ण जानकारी – अस्थमा के रोगी ने क्या ख़ाना चाहिए और क्या नहीं ?

अस्थमा के रोगी ने कौन से योग करना चाहिए? (Best Yoga in Asthma)

अस्थमा के रोगी को योग और प्राणायाम करने से लाभ होता है। योग आसन करने से शरीर के स्नायु मज़बूत होते है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। प्राणायाम करने से फेफड़ों के स्नायु और फेफड़ों की कोशिकाएँ मज़बूत होती है।
अस्थमा के रोगी ने निम्नलिखित योग और प्राणायाम का अभ्यास रोज़ाना करना चाहिए।

इन सभी योग और प्राणायाम की विस्तार में करने की विधि आप इनके नाम पर click कर आप पढ़ सकते है।

अस्थमा से जुड़े सवालों के जवाब

अस्थमा कितने दिनों तक रहता है ?

अस्थमा यह एक एलर्जिक रोग होने के कारण ज़्यादातर मरीज़ों में आजीवन रहता है। अगर आप योग्य आहार, व्यायाम, प्राणायाम करते है और जिस चीज से आपको एलर्जी है उस चीज से दूरी बनाये रखते है तो लंबे समय तक आप अस्थमा के दौरे से बच कर रह सकते है। फेफड़ों को मज़बूत और रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा कर आप अस्थमा के दौरे के असर को कम भी कर सकते है।

अस्थमा के रोगी को कब डॉक्टर के पास जाँच के लिए लेकर जाना चाहिए ?

Asthma के रोगी में नीचे बताये हुए लक्षण और शिकायत होने पर जाँच के लिए डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए जैसे की: साँस लेने में तकलीफ होना, काफी दिनों से ठीक ना होने वाली खांसी होना, बच्चों में खेलते समय खांसी होना या दम लगना, घबराहट होना, सीने मे भारी पन लगना, साँस छोड़ते समय सीटी जैसा आवाज निकलना, सीने में कफ से भरी हुई लगना, बोलने में तकलीफ होना, अपनी सामान्य कार्य या व्यायाम नहीं कर पाना आदि।

अस्थमा के रोगी को कब इमरजेंसी में दवाखाना लेकर जाना ज़रूरी होता है ?

Asthma के रोगी को निम्नलिखित शिकायत में से कोई भी शिकायत होने पर इमरजेंसी में दवाखाना लेकर जाना चाहिए। 
1. साँस लेने मे बहुत तकलीफ होना
2. साँस लेने के लिए गला, सीना या पेट के मांसपेशियों का इस्तेमाल करना 
3. बेहोश होना 
4. दमा की दवा या इनहेलर लेने पर भी राहत महसूस न होना 
5. एक एक शब्द रुक रुक कर बोलना 
6. साँस फूलने से रात को नींद न आना 
ध्यान रहे , अस्थमा का हमला कुछ ही मिनटों में किसी भी मरीज को गंभीर रूपसे बीमार कर सकता है। समय पर इलाज ना मिलने पर अस्थमा का हमला जानलेवा भी साबित हो सकता है। 

ज़रूर पढ़े – क्या अस्थमा का रोगी व्यायाम कर सकता है ?

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