क्या है मालिश / massage करने का सही तरीका ?

मालिश / massage करना यह हमारी सदियों पुरानी परंपरा रही है। पहले के जमाने में लोग नहाने से पहले या नहाने के बाद मालिश अवश्य करते थे ताकि वह हमेशा चुस्त-दुरुस्त एवं जवा रह सके। लेकिन आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में किसी के पास इतना वक्त नहीं है कि वह आराम से मालिश कर सकें। 
 
गर आप मालिश के फायदे और मालिश करने का सही तरीका जान लेंगे तो आपको उसकी अहमियत का पता चलेगा। साधारणत: लोग शरीर पर तेल को मल लेना ही मालिश के लिए पर्याप्त समझते हैं, जबकि सही मालिश का अपना एक नियम व वैज्ञानिक तरीका है। अतः मालिश यानी मसाज के विज्ञान को समझ कर उसकी नियमों का पालन करके ही मालिश का पूरा लाभ उठाया जा सकता है। 

मालिश करने का सही तरीका क्या है इसकी जानकारी इस लेख में दी गयी हैं :  

मालिश कैसे करनी चाहिए ? How to do massage in Hindi

how to do ayurvedic massage in Hindi
मालिश करते वक्त निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए। 
  • मालिश करने वालों का को मानव की शारीरिक संरचनाएं जैसे की नाड़ियाँ, मांसपेशियां, अस्थि विज्ञान, मेरूदंड इत्यादि मुख्य अंगो की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए, जिससे यह ज्ञात हो जाए की मालिश करते वक्त कहां व कितना दबाव देना है तथा दिशा किस ओर होनी चाहिए।
  • मालिश शुरू करते वक्त हाथ धोना अति आवश्यक है।
  • मालिश करने का स्थान शांत व मालिश करने वाले को एकाग्र मनोव्रुत्ति वाला होना चाहिए। एकाग्रता से की गई मालिश शरीर में नई चेतना, जान व स्फूर्ति पैदा करती है।
  • मालिश करते वक्त उचित प्रकाश या रोशनी, खुली जगह स्वच्छ हवा एवं साफ सफाई का ध्यान रखें।
  • मालिश झटके न देकर धीमे पर दबाव डालते हुए करें। हाथों और दबाव में संतुलन बनाए रखें। गति में लय होनी चाहिए। झटके से अगला स्टेप बदलने के बजाए लय के साथ बदले।
  • मालिश सदैव नीचे से ऊपर की ओर करनी चाहिए क्योंकि मालिश से शिराओं को ताकत मिलती है। दूसरी तरफ दूषित रक्त हृदय में जाकर साफ होता है और धमनी द्वारा शरीर में पहुंचकर स्फूर्ति व ताजगी लाता है।
  • ठंडी मालिश में ऊपर यानी सिर से मालिश शुरू करते हुए नीचे आना चाहिए। ठंडी मालिश धमनियों को तेज चलने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • पेट की मालिश करते वक्त दोनों पैरों को घुटनों में मोड़ना चाहिए।
  • मालिश करते वक्त शरीर को बिल्कुल शिथिल छोड़ दे।
  • मालिश हमेशा लेटाकर करे। लेटानेका स्थान हमेशा आरामदायक होना चाहिए लेकिन ढीला- ढाला ना हो। अगर अपनी मालिश खुद करनी हो तो बैठ कर करनी चाहिए।
  • मालिश के पश्चात स्नान करें या किसी वजह से स्नान न कर सके तो साफ कपड़े से पहुंचकर पाउडर लगाए जिससे शरीर चिपचिपा नहीं लगेगा।
  • मालिश में इस्तेमाल कपड़े एंटीसेप्टिक से धो डालें।
  • एक व्यक्ति की मालिश के पश्चात उन्हें हाथों से दूसरे की मालिश कदापि नहीं करनी चाहिए। मालिश के पश्चात हाथ भी साफ तरीके से धोए।
  • मालिश कराते समय लंबी-लंबी लंबी सांसे भरे। इससे शरीर में चेतना आएगी व विकार बाहर निकलेंगे।
  • बच्चों की मालिश मां के हाथों से होनी चाहिए इससे मानसिक भावनात्मक विकास भली-भांति होता है।
  • बच्चों को मालिश के बाद कुछ देर हल्की धूप में अवश्य रखें जिससे उन्हें विटामिन डी मिले एवम उनके हड्डियों का विकास सही हो।
  • नवजात शिशु की मालिश शुद्ध घी या मक्खन से करना लाभकारी होता है, इससे विकास अच्छा होता है। सरसों या नारियल तेल भी ले सकते हैं।
  • गर्भवती स्त्री की पेट की मालिश नहीं करनी चाहिए।
  • सुबह की हल्की धूप में मालिश करना लाभदायक होता है। वैसे भी मालिश हवादार कमरे में ही करें।
  • जिस भाग पर मालिश करनी है उस अंगों को छोड़कर बाकी शरीर कपड़े से ढक कर रखें।
  • तेल या क्रीम की मालिश पैरों की उंगलियों से शुरू कर क्रमशः पूरे पैर, हाथ, पेट, छाती, चेहरा व सिर पर करें।
  • पैरों पर तथा हाथों पर ऊपर से नीचे की ओर एक समान गति में मालिश करें। विभिन्न भाग जैसे कोहनी, कलाई, घुटना, टखना आदि पर गोलाकार दिशा में मालिश करें। तलवो तथा हथेलियों पर जरुर मालिश करें। यहाँ मालिश करने से विशेष लाभ होता है।
  • छाती एवं पेट की मालिश अनुलोम दिशा में याने ऊपर से नीचे की ओर और धीमी गति से करें।
  • पीठ की मालिश अंदर से बाहर तथा ऊपर से नीचे करें। मेरूदंड पर गोलाकार मालिश करें।
  • गर्दन की मालिश ऊपर से नीचे व पीछे से आगे की ओर करें।
  • चेहरे की मालिश करते वक्त माथे से शुरू करें। माथे के मध्य भाग से पीछे की ओर मसाज करें। गालों पर मालिश करते वक्त नीचे से ऊपर की दिशा में करें। गालों के उभरते हुए हिस्से तथा आंखों के आसपास गोलाकार तरीके से मालिश करें। नाक के पास में दोनों हाथों की तर्जनी को कुछ देर रखें एवं दबाव दें। इससे तनाव से राहत मिलेगी एवं साइनस की तकलीफ में भी आराम मिलेगा। फिर धीरे धीरे दबाव देते हुए जबड़े की हड्डी ( jaw line ) तक ले जाए। इस क्रिया को हर बार हल्का दबाव देते हुए दोहराए।
  • ठुड्डी की मसाज करते वक्त अंगूठे को ठुड्डी पर रखें। शेष उंगलियों से जबड़ों को आधार दे। धीरे-धीरे ठुड्डी को हल्का दबाते हुए बाहर की ओर आए। इस क्रिया को 5 से 7 बार दोहराए।
  • सिर की मालिश करते वक्त कान के पीछे तथा ऊपर का भाग ( कनपटी वाला भाग ) पर विशेष रूप से मालिश करें।
  • चेहरे की मालिश करते वक्त हाथ गरम हो जाए तो बीच में ठंडे पानी या बर्फ से हाथ ठंडे कर ले। आंखों पर ठंडे हाथों का हल्का दबाव दे। चेहरे की मालिश हल्के हाथों से करें क्योंकि वहां की त्वचा संवेदनशील होती है।
  • बाकी पूरे शरीर की मालिश गर्माहट युक्त हाथों से करें। दोनों हाथों को आपस में रगड़कर गरम करें।  चेहरे व सिर की मालिश ठंडे हाथों से करनी चाहिए लेकिन सिर की मालिश करते वक्त तेल गुनगुना रखे व हाथों के पोरों से मालिश करे।
  • बीमार रोगी व कमजोर व्यक्ति की मालिश ना करें या डॉक्टर की सलाह द्वारा ही करें।
  • मालिश के लिए उत्तम प्रकार का तेल प्राप्त करने के लिए सरसों या नारियल जैसे प्रचलित तेलों को कांच की शीशी में डाल कर कुछ दिन रोज धूप में रखना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य किरणों के प्रभाव से तेल की शक्ति बढ़ जाती है।
  • मालिश अनेक चीज़ो द्वारा की जाती है, जैसे :-  तेल( तिल, जैतून, सरसो, नारियल, बादाम आदि ) , घी, पाउडर, उबटन, फलों का गर,  मलाई, मक्खन, दूध, पानी  इत्यादि अनेक पदार्थों से की जाती है तथा इनका चयन अपनी आवश्यकता अनुसार करना चाहिए।
  • पूरे शरीर पर मालिश का समय आधे घंटे से 1 घंटे तक रखा जा सकता है। घुटन महसूस हो तो मालिश  रोक देना चाहिए।
  • मालिश कराने वाले पर निर्भर करता है कि वह कितना दबाव सहन करने योग्य है, अतः मालिश करने वाले की शारीरिक क्षमता की जानकारी व सहमति अवश्य ले लेनी चाहिए।
इस तरह विधि पूर्वक सही तरीके से की गई मालिश की मालिश के सही लाभ दे सकती है।
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