सर्दि के मौसम में तिल (Sesame) खाने का महत्त्व

भारतीय मौसम या त्योहारों की ख़ास विशेषता यह भी है कि यह जो ऋतु में आते है उस ऋतु के अनुसार स्वाथ्यकर आहार हमे निसर्गतः मिलता है। जैसे की गरमी में शरीर को ठंडक देने वाले फल आम, खरबूज, तरबूज आदि। ठंड में शरीर को स्निग्धता और गरमाहट देनेवाले पदार्थ जैसे तिल, पपया आदि। 

तिल / Sesame देखने में तो बहुत छोटा होता है पर इसमें अपने आप में सेहत का खजाना छिपा हुआ होता है। विविध भारतीय व्यंजन और मकरसंक्रांति पर चिक्की, लड्डू, पपड़ी आदि के रूप में खासतौर पर तिल का प्रयोग होता है। संक्रान्त का त्यौहार तो ख़ास तिल गुड़ का त्यौहार होता है। इस मौसम में ठंड काफी रहती है। शारीरिक बल भी अच्छा होता है ताकि हम कोई भारी आहार भी पचा सकते है। 

इस मौसम में वातावरण में शीतलता, रुक्षता अधिक होती है अतः हमें ऐसे आहार का सेवन करना होता है जो शरीर को गरमाहट, स्निगधता, बल प्रदान करे और ऐसे में ही एक है तिल। तील के प्रयोग से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर सक्रिय रहता है। तिल के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ की अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

 

तिल के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits of Sesame in Hindi)

sesame health benefits in Hindi

तिल के औषधीय गुण क्या हैं ? (Medicinal Properties of Sesame in Hindi)

तिल स्वादिष्ट मधुर, कषाय रस युक्त, स्वभाव से गरम, स्निग्ध, बलवर्धक, वातशामक, कफपित्तनाशक, अग्निप्रदीपक, केशवर्धक, मस्तिष्क को शक्ति देनेवाले होते है। तिल तेल में प्रोटीन, कैल्शियम, बी कांपलेक्स, कार्बोहाइड्रेट्स, मोनो सैच्युरेटेड फैटी एसिड आदि तत्व होते हैं। 

तिल मुख्यतः 3 प्रकार के होते है – काले , सफेद और लाल। काले तिल सर्वोत्तम और पौष्टिक होते है। इनका उपयोग पूजा पाठ में तथा औषधि में किया जाता है। सफेद तिल मध्यम गुणोंवाले होते है। रोजमर्रा के व्यंजनों में इनका उपयोग अधिक होता है। लाल तील कम गुणों वाले होते है। तील की खेती भारत में की जाती है। इसका सर्वाधिक उपयोग खाद्यतेल बनाने में किया जाता है। 

तिल के औषधीय उपयोग और स्वास्थ्य लाभ (Health benefits of Sesame in Hindi)

  1. सर्दियों का मौसम तिल के बिना सुना : सर्दी का मौसम खासतौर पर शिशिर ऋतु अपने आप में शीतलहर और रुक्षता लिए होता है। शरीर की त्वचा फ़टी और बेजान होने लगती है। ऐसे मौसम में तील एक वरदान है। तील को पीसकर इसका उबटन त्वचा पर लगाकर मलने से जहां शरीर का मैल छुटता है, वहीं शरीर की त्वचा की खुश्की दूर होकर त्वचा मुलायम और कांतिमान होती है। शीत प्रकोप से त्वचा की रक्षा होती है।  इसलिए ठंड के मौसम में और खास तौर पर मकर संक्रांति पर तिल का उबटन लगाने की परंपरा चली आ रही है। तिल का तेल त्वचा की सनबर्न से भी रक्षा करता है।
  2. तील के तेल से मालिश : आयर्वेद में तील का प्रयोग वातशामक के रूप में शरीर की मालिश के लिए, पंचकर्म में, स्नेहन चिकित्सा में, जोड़ो के दर्द में मसाज के लिए किया जाता है। तिल का तेल ऐंटि-ऑक्सिडेंट होता है। इससे मालिश करने से बुढापा जल्दी नहीं आता है और थकावट भी दूर होती है। 
  3. हृदय के लिए हितकारी : तिल में मौजूद मोनो सैचुरेटेड फैटी एसिड शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करके गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है। साथ ही दिल में जरूरी मिनरल्स जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, सेलेनियम आदि होते हैं जो हृदय को सुचारू ढंग से काम करने में मदद करते हैं। यह हृदयरोग, दिल का दौरा और धमणिकाठिन्य आदि की संभावनाओं को कम करता है। 
  4. तनाव को करता है दूर : तिल के सेवन से तनाव दूर होता है तथा मस्तिष्क को ताकत मिलती है। मस्तिष्क में लेसीथिन द्रव्य रहता है उसकी आपूर्ति तिल से होती है। तिल के सेवन से मस्तिष्क की स्नायु और मांसपेशियां मजबूत बनते हैं। मानसिक दुर्बलता नही होती है। तिल और गुड समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बनाएं। प्रतिदिन रात को एक लड्डू खाकर ऊपर से दूध पिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है। कठिन शारीरिक परिश्रम करने पर सांस नहीं खुलती और बुढ़ापा जल्दी  आने में भी रोकता है। 
  5. कैल्शियम की पूर्ति : शरीर को एक दिन में जितनी कैल्शियम की आवश्यकता होती है, उतनी 50 ग्राम तिल से मिलती है। तिल में मौजूद जिंक और कैल्शियम अस्थि-सुषिरता की संभावनाओं को कम करते हैं।
  6. मधुमेह में है कारगर : इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह मधुमेह में प्रयुक्त दवा Glibenclemide के साथ मिलकर काम करता है। इसीलिए टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में तिल का सेवन मददगार साबित होता है।
  7. दाँतों के लिए लाभकारी : ब्रश करने के बाद काले तिल को बारीक चबाकर खाएं, यह प्राकृतिक रूप से दातों को सुंदर और मजबूत बनाता है। अगर दांत में दर्द हो तो तिल के तेल से कुल्ला करने से दातों का दर्द कम होता है। 
  8. सुखी खांसी : अगर सर्दी के कारण सुखी खासी आ रही हो तो 4 चम्मच तील में उतने ही समान मात्रा में मिश्री मिलाकर एक ग्लास पानी में उबालें जब तक के पानी आधा न रह जाए। अब ठंडा होनेपर इसे पिए। ऐसा दिन में तीन बार पिए, जब तक खासी ठीक ना हो। 
  9. अधिक पेशाब आना : अगर किसी को अधिक पेशाब आने की शिकायत हो तो सुबह शाम तिल का लड्डू खाए। यह परेशानी कम हो जाएगी। अगर बच्चे रात में बिस्तर गिला करते हो तो 50 ग्राम तिल, 25 ग्राम अजवाइन और 100 ग्राम गुड़ को समान मात्रा कर मिलाकर इसे 8 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार बच्चों को दे। जिससे बच्चों की बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाएगा। 
  10. बवासीर की चिकित्सा : बवासीर के लिए एक देसी नुख्सा यह भी कहा गया है कि 50 ग्राम काले तिल लेकर उनको उतने ही पानी में भिगोए जितने वह सोख ले। आधा घंटा भिगोने के बाद उन्हें पीस लें इसमें एक चम्मच मक्खन और 2 चम्मच मिश्री मिलाकर सुबह-शाम लेने से पाईल्स या बवासीर में रक्त  गिरना बंद हो जाएगा। काले तिल को चबाकर ऊपर से ठंडा पानी पीने से भी बादी बवासीर ठीक होता है।
  11. कब्ज में उपयोगी : कब्ज होने पर 50 ग्राम की तील को कूटकर उसमें शक्कर मिलाकर खाइए।  इस से कब्ज से राहत मिलेगी। अगर पेट में दर्द है तो काले तिल चबाकर खाएं और ऊपर से पानी पी लें तो दर्द से राहत मिलेगी। बवासीर और कब्ज यह दोनों बीमारियों में तले हुए पदार्थ तेज मिर्च मसाले तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन बंद कर दे। 
  12. कैंसर से करता है सुरक्षा प्रदान : तिल में sesamin नामक ऐंटि-ऑक्सिडेंट होता है जो कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से तथा उनके जीवित रहने से रोकता है। यह फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर, अग्नाशय का कैंसर, स्तन का कैंसर, ल्यूकेमिया आदि का प्रभाव कम करने में मदद करता है। 
  13. बच्चों के विकास के लिए जरूरी तत्व : तील में प्रोटीन और अमाइनो एसिड होता है जो शिशु के हड्डियों के विकास के लिए तथा हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। करीब 100 ग्राम तिल में 18 ग्राम ईतना प्रोटीन होता है। तिल में मौजूद फॉलिक एसिड गर्भवती महिलाओं को रक्त की आपूर्ति में मदद करता है लेकिन गर्भावस्था में इसकी मात्रा मर्यादित रखें। स्तनपान कराते वक्त माता को तिल का सेवन करना चाहिए इससे दूध की मात्रा में वृद्धि होती है। 
  14. बालों के लिए वरदान : जिन के बाल सफेद हो गए हो, गिरते हो या बालों में गंजापन आ रहा हो तो अगर वह नित्य तिल का सेवन करें तो उनके बाल काले, लंबे और घने हो जायेंगे। बालों में रुसी हुई हो तो तिल के तेल से मालिश करें। आधे घंटे बाद गरम पानी में तोलिया निचोड़कर बालों पर लपेटे। ठंडा होने के बाद फिर से गर्म पानी में निचोड़कर लपेटे ऐसा करें 5 से 7 मिनट तक करें।  इसके बाद ठंडे पानी से बाल धो ले। इससे बालों की रूसी कम होकर बाल मुलायम हो जाएंगे। 
  15. जलने पर राहत : तिल को पानी के साथ मिलाकर पीस कर जले हुए स्थान पर इसका पेस्ट लगाने से राहत मिलती है।
  16. रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिए : ठंड के मौसम में 1 से 2 माह तक प्रतिदिन एक से दो चम्मच तिल चबाकर खाए या हर रोज एक तिल का लड्डू खाए और साथ ही तिल के तेल से शरीर की मालिश करें।

तिल का सेवन हेल्थी तरीके से करें। इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले थोड़ा भून ले। तिल को आप लड्डू, चिक्की के तौर पर, चटनी के रूप में, सलाद पर छिड़क कर, ग्रेवी बनाने में या तिल के तेल से सब्जी आदि बनाने में उपयोग कर सकते हैं। इस तरह ठंड के ऋतु में तिल का सेवन कर हम सालभर के लिए स्वास्थ्य का खजाना पा सकते हैं।

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