ऊँची एड़ी (High heels) के सैंडल पहनने के क्या दुष्परिणाम है ?

आजकल फैशन के तौर पर महिलाओं में ऊँची हील / High heels के सैंडल पहनना आम हो गया है। कई महिलाएं अपनी हाइट बढ़ाने के लिए ऊँची हील्स का सहारा लेती है। बाजार में भी कई तरह के डिजाईन और रंगों में हाई हील्स के जूते-सैंडल्स मिलते है जो की महिलाओंको अपनी और आकर्षित करते है। 

ऊँची हील्स पहनना आजकल स्टाइल हो गया है और कई महिलाएं ऊँची हील्स पहनने पर अपने आप में आत्मविश्वास पाती है। देखा जाये तो हाई हील सैंडल में खूबसूरत लुक के अलावा इसका कोई और फायदा नही है; बल्कि सेहत के लिए इसके नुकसान काफी है। विभिन्न अध्ययनों के आधार पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि लगातार हिल्स पहनने से हमारे टखने की ताकत और पैरों का संतुलन प्रभावित होता है। आज इस लेख में हम ऊंची एडी के सेंडल पहनने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

ऊँची एड़ी / High heels के सैंडल पहनने के क्या दुष्परिणाम है और इससे कैसे बचा जाये इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

high heels sandals side effects in Hindi

ऊँची एड़ी के सैंडल पहनने के क्या दुष्परिणाम है ? (High Heel Sandals side effects in Hindi Language)

हाई हील्स में लगभग 3 प्रकार की ऊँचाई होती है। करीब 75% उची एड़ी की सैंडल में 3 इंच की हील, 50 % उची एड़ी की सैंडल में 2 इंच की हील्स और 25% तक उची एड़ी की सैंडल में 1 इंच ऊंचाई होती हैं। जितनी ज्यादा ऊँची हिल होती है पैरों के आगे के हिस्से पर उतना ही अधिक भार पड़ता है। हील्स पहनना थोड़ी देर के लिए तो अच्छा लगता है पर बाद मे उससे थकान और दर्द जैसी समस्याएं बढ़ने लगती है।

उची एड़ी की सैंडल पहनने के दुष्परिणाम इस प्रकार हैं : 

  1. शरीर आकार में गड़बड़ी : हाय हील पहले ने से आपके कमर, कुल्ले , कंधे पर रीढ़ का पूरा भार आ जाता है।  इसे शरीर का पूरा पोश्यर बिगड़ जाता है।  अगर यह स्थिति लंबे समय तक रही तो कमर और पैरों में गंभीर दर्द भी हो सकता है।
  2. रीढ़ की हड्डी पर असर : ऊँची हील्स से रीढ़ की प्राकृतिक संरचना सही नही रह पाती, जिस वजह से कमर में दर्द, चलने में पोस्चर में  बदलाव हो सकते है।
  3. बारबार और आसानी से चोट आने का डर : बुजुर्ग या अधिक वजन वाली महिलाओं में शरीर का संतुलन बिगड़ कर गिरने का खतरा बढ़ जाता है और ऐसे में फ्रैक्चर, टखने में चोट या मोंच भी आ सकती है।
  4. शारीरिक वजन अधिक होने पर : अगर आप ओवरवेट है और हाई हील्स पहनती है तो आपके एड़ियों पर दबाव बढ़ ज्याता है, जिससे दर्द होता है।
  5. अँगुलियों पर जोर : जब आपका पूरा वजन पैरों के बीच की मुख्य 3 अंगुलियों पर पड़ता है तो पैरों की उंगलियो में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। वृद्धों को यह परेशानी ज्यादा हो सकती है। ऊँची हील्स वाली सैंडल्स अत्यंत असुविधाजनक होने से अंगूठे पर सूजन भी आ सकती है।
  6. घुटनों का दर्द : हाई हील्स से घुटनों पर लगभग 26 प्रतिशत दबाव बढ़ जाता है, जिससे घुटनों में दर्द और आर्थराइटिस जैसी समस्याएं बढ़ने लगती है।
  7. पिंडलियाँ : पिंडलियों की मांसपेशियों पर अधिक दबाव होने से वे सख्त हो जाती है, जिससे पिंडलियों में , कमर में दर्द रहता है। इससे आगे चलकर Varicose Veins की समस्या भी हो सकती है।
  8. एकिलीज़ टेंडन (Achilles Tendon) : एकिलीज़ टेंडन याने  पिंडलियों से एडी तक के नसों का जाल छोटा होकर एड़ियां दर्द करना शुरू कर देती है। यही स्तिथि बनी रहे तो नसे हमेशा के लिए छोटी हो जाती है। जिससे पैरों के रक्तसंचरण पर भी असर होता है।
  9. पंप बम्प : हाई हील की स्ट्रेप जब बार बार एड़ी की हड्डी पर रगड़ करती है तो वहां की हड्डी बढ़ जाती है जिससे असहनीय दर्द होता है , इसे पंप बम्प की समस्या कहते है।
  10. कॉर्न आदि की समस्या : अच्छे फिटिंग की हाई हील्स न पहनने से अंगुलियों को मोड़ना पड़ता है जिससे वे छिल सकती है या बार बार कॉर्न की समस्या भी हो सकती है।
  11. बच्चियों के लिए खतरा : पैरों का विकास करीब 12 वर्ष तक होता है । अगर इससे कम उम्र में हाई हील्स पहनते हैं तो पैरों का विकास अवरुद्ध हो जाता है। हड्डियों में दर्द और टेढ़ापन भी आ सकता है।

सैंडल चुनने में ध्यान रखने योग्य कुछ बाते (How to select footwear for females in Hindi)

  1. फुटवियर में गौर करने वाली बात है कि फुटवियर की लम्बाई एक से सव्वा सेंटीमीटर होनी चाहिए।
  2. हाय हील्स के अलावा फ्लैट स्लीपर भी नहीं पहननी चाहिए वरना शरीर का सारा भार एडियो पर आ जाता है।
  3. स्पोर्ट्स शूज भी बेहतर कोचिंग वाले सही माने जाते हैं।
  4. जब हम साधारण चप्पल पहनते हैं तो प्राकृतिक रूप से चल पाते है।
  5. प्लेटफार्म हील्स पैरों के लिए बेहतर साबित होते है।

हाई हील्स पहनते वक्त ये सावधानी रखें (Things to remember while wearing High heels Sandals in Hindi)

  • एयरहोस्टेस  या रिसेप्शनिस्ट जैसे विभिन्न पेशों में महिलाओं को हिल पहननी पड़ती है। ऐसे में बीच-बीच में समय मिलने पर इसको उतार कर थोड़ी देर के लिए पैरों को आराम दिया जाना चाहिए। ध्यान रखे कि आप एक घंटे से ज्यादा समय तक लगातार चलने, खड़े होकर काम करने से बचना चाहिए।
  • यदि हील्स पहनने पर आपको बार-बार मोच आ जाती हो या पैर में किसी तरह का कोई समस्या हो तो स्पोर्ट्स शूज या जूते पहने।
  • जब आप जुते ले तो उनके अंदरूनी सोल या कुशन्स सॉफ्ट ले। पुरे जूतों को आरामदायक बनाने के लिए इनमे सिलिकॉन मेटाटर्सल पैड्स डाले, जिससे झटखों को सोखने में मदत मिलेगी। ये एक प्रकार के अंडाकार पैड्स होते है , जो पैरों के नीचें के गोलाकार हिस्सों में बैठते हैं। इससे आपके पैर संतुलित रहते है और उँगलियों का घर्षण भी कम होता है, जिससे फोड़े , फुंसी से भी राहत मिलती है।
  • सही हील्स वह होती है, जिसे पहनने के बाद आप शरीर को खासकर सीर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रख सके।
  • चलते वक्त छोटे छोटे कदम ले।
  • कोशिश करे की हाई हील्स तभी पहने जब आपको ज्यादा चलना या खड़ा होना न पड़े। ऊँची हील्स का प्रयोग कामकाज के दौरान, विशेष त्यौहार, पार्टीज आदि में ही करे जब ज्यादा जरूरत हो।
  • योग, स्ट्रेचिंग या पैरों का व्यायाम अवश्य करे, जिससे पैरों में रक्तसंचालन सही हो और दर्द से भी राहत मिले।
  • हर रोज रात को गर्म पानी में नमक डालकर पैरों को 10 से 15 मिनिट सेंक दे ताकि पैरों को आराम मिले और पैर की त्वचा भी सही रहे।
  • पैरों को मुलायम और मजबूत रखने के लिए जैतून, तील या सरसों के तेल से पैरों की मालिश करें।

इस तरह हाई हील्स ना पहनकर या कम से कम पहनकर आप अपने पैरों को अतिरिक्त तनाव से बचा सकते है और उपर्युक्त तरीकों को आजमाकर अपने पैरों की सुरक्षा कर सकते है। 

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