क्या हैं आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा | Panchkarma in Hindi

ayurveda panchkarma information in Hindi

आयुर्वेद में शरीर की शुद्धि के लिए पंचकर्म चिकित्सा (Panchkarma Therapy) का वर्णन किया हुआ हैं। आयुर्वेद के सिद्धांत अनुसार शरीर के स्वस्थ रहने के लिए वात, पित्त और काफ यह त्रिदोष का संतुलित रहना जरुरी हैं। इनमे से किसी भी एक दोष का भी असंतुलित होने से शरीर में विषैला रोगकारक तत्व आम की निर्मिती होती जिससे शरीर बिमार पड़ सकता हैं। पंचकर्म चिकित्सा से शरीर का शोधन कर त्रिदोषो को संतुलित किया जाता है और विषैले तत्व को शरीर से बाहर निकाला जाता हैं।

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का विकास हजारो वर्षो के अभ्यास से हुआ हैं। आचार्य चरक, सुश्रुत, वाग्भट जैसे कई बड़े आयुर्वेद तज्ञ ने हजारो वर्षों तक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से कई लोगो का उपचार किया हैं और करोडो लोगो पर किये गए उपचार के अनुभव पर आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र का मूल सिद्धांत निर्माण किया हैं। आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति नहीं हैं, आयुर्वेद का मतलब हैं – जीवन जीने का सही तरीका ! आयुर्वेद शास्त्र में अनेक गंभीर रोगों की चिकित्सा के साथ-साथ दैनंदिन जीवन में हमारे स्वास्थ्य के रक्षण हेतु किस तरह आहार-विहार करना चाहिए इसका सम्पूर्ण ज्ञान दिया हुआ हैं।

पंचकर्म चिकित्सा संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

आयुर्वेद पंचकर्म क्या है ? (Ayurveda Panchakarma in Hindi)

पंचकर्म चिकित्सा में वमन, विरेचन, नस्य, बस्ती और रक्तमोक्षण इन पांच क्रियाओ का समावेश होता हैं। पंचकर्म करने से पहले स्नेहन और स्वेदन यह दो पूर्वकर्म किये जाते हैं।

स्नेहन पूर्वकर्म (Oil Massage)

जिस कर्म से शरीर में स्निग्धता, मृदुता और द्रवता निर्माण होता है उसे स्नेहन कहा जाता हैं। स्नेहन पूर्वकर्म में औषधि युक्त तेल या घी से शरीर की मालिश की जाती हैं। कभी -कभी स्नेहन करने के लिए घी या मीठी चीज खिलाया या पिलाया भी जाता हैं। स्नेहन करने से शरीर पृष्ट और मजबूत होता है और पंचकर्म सहन करने योग्य बनता हैं।

स्वेदन पूर्वकर्म (Sweating)

जिस प्रक्रिया में शरीर में से स्वेद (Sweat) निकलता है उसे स्वेदन कर्म कहते हैं। स्नेहन करने के बाद औषधियुक्त पानी की बाष्प (Steam), गर्म कपडे, पत्थर या रेत से ऊष्मा देकर शरीर का स्वेदन किया जाता हैं।

    पूर्वकर्म करने से दोष / आम (Toxic substance) आसानी से पंचकर्म करने पर बाहर निकल जाते हैं।

    वमन पंचकर्म क्या हैं? (Vaman Panchkarma in Hindi)

    जिस प्रक्रिया में प्रकुपित दोष (पित्त और कफ) आमाशय (Stomach) से बाहर उलटी द्वारा बाहर निकाला जाता है उसे वमन पंचकर्म (Vomiting) कहते हैं। वमन पंचकर्म में विशेष विधि के बाद मदनफल आदि औषधि देकर व्यक्ति को उलटी करायी जाती हैं। अंतर्विष जो आमाशय (Stomach), शरीर स्त्रोतस (Systems) और कोशिकाओं (Tissue / cells) में से संचित मल को वमन क्रिया द्वारा निकाला जाता हैं। दमा, अपस्मार, मोटापा, अम्ल पित्त, ह्रदय रोग जैसे अनेक रोग में वमन चिकित्सा लाभदायी हैं।

    जरूर पढ़े – वमन पंचकर्म की पूरी जानकारी 

    विरेचन पंचकर्म क्या हैं? (Virechan Panchkarma in Hindi)

    प्रकुपित दोष, विशेषतः पित्त दोष को गुद्मार्ग से बाहर निकालने को विरेचन (Purgation) कहते हैं। विरेचन द्वारा प्रकुपित दोष का निर्हरण केवल intestine या गुद मार्ग से नहीं होता अपितु संपूर्ण शरीर से होता हैं। कुष्ठ, अर्श, भगंदर, अरुचि, योनी दोष और स्तन दोष जैसे अनेक रोगों में विरेचन चिकित्सा से लाभ होता हैं।

    जरूर पढ़े: विरेचन पंचकर्म की संपूर्ण जानकारी

    बस्ति पंचकर्म क्या हैं? (Basti Panchkarma in Hindi)

    बस्ति चिकित्सा (Enema) प्रक्रिया में औषध युक्त तेल अथवा क्वाथ (Medicated water) गुदमार्ग, मूत्रमार्ग से विशेष यंत्र द्वारा प्रविष्ट किया जाता है। बस्ति का उपयोग सिर से पाँव तक सभी रोगों में किया जाता हैं। बस्ति चिकित्सा का उपयोग आमवात, संधिवात, मधुमेह, पक्षाघात, कब्ज जैसे अनेक रोग में सफलता पूर्वक किया जाता हैं।

    यह भी पढ़े: बस्ती पंचकर्म की पूरी जानकारी

    नस्य पंचकर्म क्या हैं? (Nasya Panchkarma in Hindi)

    औषधी युक्त स्नेह, चूर्ण को नासा (Nose) मार्ग से देने के क्रिया को नस्य कर्म (Nasal drops) कहते हैं। नाक को शिर का द्वार समझा जाता हैं और इस द्वार से दी जानेवाली दवा समूर्ण शरीर पर कार्य करती हैं। शिरोरोग, सिरदर्द, माइग्रेन, अजीर्ण, साइनोसाइटिस इत्यादि अनेक रोग में नस्य क्रिया की जाती हैं।

    पूरी जानकारी पढ़े: नस्य पंचकर्म की पूरी जानकारी

    रक्तमोक्षण पंचकर्म क्या हैं? (Raktamokshan Panchkarma in Hindi)

    दूषित रक्त को शरीर से बाहर निकालने के विधि को रक्त मोक्षण (Blood letting) कहा गया हैं। शस्त्र या जलौका (Leech) का उपयोग कर दूषित रक्त शरीर से बाहर निकाला जाता हैं। त्वचा रोग, रक्त वाहिनी रोग में इससे लाभ होता हैं।

    जरूर पढ़े: रक्तमोक्षण पंचकर्म की पूरी जानकारी

    आयुर्वेदिक पंचकर्म के फायदे क्या हैं? (Panchkarma Therapy benefits in Hindi)

    पंचकर्म एक आयुर्वेदिक उपचार है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए किया जाता है। ऐसे तो आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा के कई फायदे हैं, पर कुछ प्रमुख लाभ की जानकारी निचे दी गयी है:

    1. शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालना (Body Detox): पंचकर्म शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जो बीमारी का कारण बन सकते हैं।
    2. स्वास्थ्य में सुधार करना (Fitness): पंचकर्म समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, जिसमें ऊर्जा, पाचन और प्रतिरक्षा शामिल है।
    3. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करना (Mental Health): पंचकर्म मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, जिसमें तनाव, चिंता और अवसाद शामिल है।
    4. आयु बढ़ाना (Stop Aging): पंचकर्म उम्र बढ़ने को धीमा करने में मदद कर सकता है।

    पंचकर्म किसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए सुरक्षित है, लेकिन यह एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा ही किया जाना चाहिए।

    आजकल मनुष्य का जीवन अधिकाधिक यांत्रिक होते जा रहा हैं। अत्याधिक गतिमान जीवन में मानव के आहार-विहार में अनियमितता आ गयी हैं। जिस तरह समय-समय पर कार या साइकिल जैसे यंत्रों के ठीक से चलने के लिए सर्विसिंग की जरुरत होती है उसी तरह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर की पंचकर्मों द्वारा शुद्धि भी जरुरी हैं।

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