बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना कैसे रोके ? आयुर्वेदिक घरेलु उपचार !

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किसी भी माँ के लिए बच्चों ने रात के समय नींद में पेशाब कर बिस्तर गिला कर देना (Bed-wetting) एक बहोत बड़ी समस्या होती हैं। अगर 5 वर्ष के आयु के बाद भी बच्चों में ऐसी समस्या कायम रहे तो शारीरिक तकलीफ के साथ-साथ मानसिक परेशानी भी हो जाती हैं। बच्चों की इस आदत से छुटकारा पाने के लिए कई तरीके के नुस्खे अपनाए जाते है पर बेहद कम मामलों में ही इसमें सफलता हासिल होती हैं।

Bed-wetting का उपचार करने के पहले इसके कारण का पता होना बेहद जरुरी हैं। एक बार इसका सही कारण पता चल जाये तो इससे छुटकारा पाने में आसानी होती हैं। Bed-wetting के विविध कारण (causes) और इसके निदान (Diagnosis) की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए यह लेख पढ़े – Bed-wetting का कारण और निदान

Bed-wetting का मेडिकल उपचार और कुछ उपयोगी घरगुती नुस्खे की अधिक जानकारी इस लेख में निचे दी गयी हैं :

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना रोकने का मेडिकल उपचार

  1. नमी संकेतक / Moisture Alarm : यह एक प्रकार का बैटरी संचालित उपकरण हैं जो रात में सोते समय बच्चों के पायजामा / पेंट को लगाया जाता हैं। जब बच्चा थोड़ी सी भी पेशाब करता है तो अलार्म बजता है और बच्चा पेशाब रोककर उठ जाता हैं। बच्चा उठाने के बाद उसे पेशाब करा कर फिर सुला दिया जाता हैं। यह उपकरण ज्यादातर मामलों में अधिक फायदेमंद माना जाता है और इसके उपयोग से 1 से 2 महीनो में ही बच्चो में बिना Bed-wetting किये रातभर सोने की शुरुआत हो जाती हैं। आमतौर पर एकबार इस्तेमाल कर लाभ मिलना शुरू होने पर इसके दोबारा उपयोग करने की जरुरत नहीं पड़ती हैं। ऐसे तो यह उपकरण मेडिकल पर बिना डॉक्टर के पर्ची के भी मिल जाता हैं पर डॉक्टर की सलाह लेकर इसका उपयोग करना जरुरी हैं।
  2. दवा / Medicine : पीड़ित बच्चे की जांच करने के बाद डॉक्टर आवश्यकता अनुसार दवा देते हैं। दवा देने पर बच्चों में लाभ तो मिलता है पर इनको बंद करने से फिरसे तकलीफ शुरू हो सकती हैं।
  • Desmopressin – यह दवा ऐसी है जो रात में पेशाब विरोधी हॉर्मोन / Anti-Diuretic Hormone (ADH) की मात्रा को बढाती हैं जिससे रात में पेशाब कम प्रमाण में तैयार होती हैं। इस दवा के साथ रात में अधिक पानी नहीं पीना चाहिए। इस दवा के कुछ दुष्परिणाम होने के कारण बिना डॉक्टर की सलाह के यह दवा नहीं लेना चाहिए।
  • Oxybutinin – अगर पीड़ित बच्चे का मूत्राशय / Urinary bladder सामान्य से छोटा है तो उसकी संकोचन शक्ति बढाने के लिए और पेशाब ग्रहण शक्ति (capacity) बढाने के लिए यह दवा दी जाती हैं। इस दवा के साथ आमतौर पर अन्य दवा का उपयोग किया जाता हैं। इस दवा के भी दुष्परिणाम होने के कारण, डॉक्टर की सलाह से ही इस दवा का उपयोग करना चाहिए।

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करने का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार  

Bed-wetting की समस्या से राहत पाते के लिए आप निचे दिए हुए इन घरगुती बातों के इस्तेमाल भी कर सकते हैं :
  • मूत्राशय व्यायाम / Bladder Exercise – मूत्राशय छोटा होने पर मूत्राशय की पेशाब को रोक कर रखने की क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ डॉक्टर मूत्राशय का व्यायाम करने की सलाह देते हैं। इसमें दिन के समय में पानी पिलाकर पीड़ित को अधिक समय तक पेशाब रोकने को कहा जाता हैं। जब बिलकुल ही पेशाब न रोक पाए तब पेशाब करने की सलाह दी जाती हैं। यह व्यायाम डॉक्टर की सलाह लेकर ही करना चाहिए।
  • आहार / Diet – बच्चे को ऐसा आहार न दे जिससे ज्यादा गैस तैयार होता है जैसे की अधिक तेल-मसाले युक्त आहार, आलू, चने, चाय, कोफ़ी, चॉकलेट, फ़ास्ट फ़ूड इत्यादि। अगर बच्चा टिक से आहार नहीं ले रहा है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। Vitamin B12 और Folate की कमी से Bed-wetting की समस्या निर्माण हो सकती हैं।
  • पानी – पीड़ित बच्चे को दिन में अधिक पानी पिलाए और शाम के समय सोने से 3-4 घंटे पहले कम पानी पिलाना चाहिए। अगर बच्चा शाम को अधिक खेलता है तो उसे सामान्य मात्रा में ही पानी पिलाये।
  • Caffeine – बच्चों को Caffeine युक्त पदार्थ जैसे की चाय, कॉफ़ी नहीं पिलाना चाहिए। शाम के समय ऐसे पेय पिने से मूत्राशय में संकोचन अधिक होता हैं।
  • अनुशासन – बच्चों को रात में सोने से पहले दोबार बाथरूम / शौचालय में पेशाब करने का अनुशासन लगाना चाहिए। एक बार बिस्तर पर सोने को जाने से पहले और दूसरी बार नींद आने से पहले पेशाब जरुर कराना चाहिए। बच्चों के रूम में रात में कम प्रकाश की लाइट जलती रहनी चाहिए ताकि रात में पेशाब आने पर बच्चे बाथरूम तक पहुच सके।
  • विरेचक / Laxative – अगर बच्चे को कब्ज है तो आप उसे डॉक्टर की सलाह्नुसार विरेचक दवा दे सकते हैं। कई बार कब्ज के कारन भी बच्चे Bed-wetting कर देते हैं। कब्ज की समस्या से बचने के लिए बच्चो को खाने में सलाद अधिक देना चाहिए। कब्ज के अन्य उपचार जानने के लिए यह पढ़े – कब्ज का उपचार 
  • संक्रमण / Infection – अगर बच्चे में पेशाब के संक्रमण के लक्षण नजर आते है जैसे की पेशाब करते समय दर्द या जलन होना, बुखार, बदन दर्द या बार-बार थोड़ी पेशाब होना  तो डॉक्टर से मिलकर पेशाब जांच कर इसका ईलाज कराना चाहिए। बच्चों में पेशाब से कपडे या बिस्तर गिला होकर संक्रमण न फैले इसलिए बिस्तर पर प्लास्टिक बिछाना चाहिए और गिले कपडे तुरंत बदल देना चाहिए।
  • मधुमेह / Diabetes – कुछ मामलों में Bed-wetting मधुमेह का लक्षण भी हो सकता हैं। अगर माता या पिता में से किसी को मधुमेह है और साथ में बच्चे में मधुमेह के लक्षण नजर आते हैं जैसे की बार-बार पेशाब लगना, ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा भूक लगना और बेवजह वजन कम होना जैसे लक्षण नजर आते है तो डॉक्टर से मिलकर मधुमेह की जांच करा लेना चाहिए।
  • प्रोत्साहन / Encouragement – कई बार बच्चे किसी तनाव के परिस्तिथि के कारण Bed-wetting का शिकार हो जाते हैं। ऐसी परिस्तिथि में बच्चो की भावना को समझकर उनसे प्यार से बात करनी चाहिए।Bed-wetting करने पर उन्हें डांटने की जगह उन्हें प्यार से समझाना चाहिए। अगर किसी बात का तनाव या चिंता हो तो उसे बात कर दूर करने का प्रयास करना चाहिए। जिस दिन बच्चा Bed-wetting नहीं करता है उसे उस दिन कुछ इनाम या शाबाशी देकर प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • आयुर्वेदिक उपचार / Ayurvedic remedies – Bed-wetting के कुछ मामलों में आयुर्वेदिक दवाओ से लाभ मिलता हैं। रात में सोने से पहले एक चमच्च शहद लेना, ब्राम्ही, शंखपुष्पी और चन्द्रप्रभावटी जैसी आयुर्वेदिक उपचार से Bed-wetting का प्रमाण कम होता हैं। आयुर्वेदिक दवा लेने से पहले विशेषज्ञ को दिखाकर उचित मात्रा में ही दवा का सेवन करना चाहिए।
Bed-wetting यह एक आम समस्या है और इसे छिपाना नहीं चाहिए। Bed-wetting का तुरंत उपचार शुरू कर आप अपने बच्चे को शारीरिक और मानसिक परेशानी से बचा सकते हैं। Bed-wetting की समस्या होने पर बाल रोग विशेषज्ञ की राय अवश्य लेना चाहिए।
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