संधिवात कारण, लक्षण और ईलाज | Osteoarthritis in Hindi

Osteoarthritis causes symptoms treatment diet in Hindi

Osteoarthritis, जिसे सामान्य भाषा में ‘ टूट-फुट आर्थराइटिस ‘ या ‘ बुजुर्ग लोगो का आर्थराइटिस ‘ या ‘ संधिवात ‘ भी कहा जाता हैं, आर्थराइटिस रोग यह जोड़ों में दर्द का सबसे आम प्रकार हैं। Arthritis का यह प्रकार बुजुर्ग लोगो में आम हैं और यह आमतौर पर भार वहन करने वाले जोड़ो को कुप्रभावित करता है, जैसे की नितंब, घुटने, पैर तथा रीड की हड्डी।

भारत में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग तो इसे जीवन का हिस्सा मानकर ही चलते हैं। संधिवात के चलने उठना, चलना और बैठना कष्टदायक हो जाता हैं। वजन बढ़ने से यह दिक्क्त और भी अधिक बढ़ सकती हैं। आज के इस लेख में हम आपको सन्धिवात के कारण, लक्षण और उपचार से जुडी जानकारी दे रहे हैं।

संधिवात कैसे होता हैं ? (Osteoarthritis in Hindi)

आपके जोड़ो के अंदर हड्डी के ऊपर गद्दिया लगी होती है जिसे Cartilage कहते हैं। यह Cartilage जब हड्डिया एक दुसरे पर सरकती हैं और कोई झटका या धक्का लगता हैं तो उसे स्पंज की तरह अवशोषित कर लेता हैं। किसी कारण वश यह cartilage नकारा या समाप्त होने पर, हड्डिया जब एक दुसरे से रगड़ती है या धक्का लगता हैं तो जोड़ो में दर्द और सुजन आ जाती हैं और चलना-फिरना मुश्किल हो जाता हैं। इस स्तिथि को Osteoarthritis कहा जाता हैं। बुजुर्ग लोगो में यह अधिक आम हैं क्योंकि वे अपने जोड़ो से अधिक काम ले चुके होते हैं।

संधिवात होने का क्या कारण हैं ? (Osteoarthritis causes in Hindi)

Osteoarthritis होने के निम्नलिखित मुख्य कारण हैं :

1. आयु (Age) : जैसे की हमने पहले ही कहा हैं, Osteoarthritis यह रोग बुजुर्ग लोगो में आम हैं। 60 वर्ष या अधिक आयु के आधे से ज्यादा लोगो में कम से कम एक जोड़ में Osteoarthritis के लक्षण दिखाई देते हैं।
2. मोटापा (Obesity) : अधिक वजन वाले लोगो में Osteoarthritis होने का खतरा अधिक होता हैं। ऐसे लोगो में कम आयु में ही घुटने का Osteoarthritis होने का खतरा अधिक होता हैं। 
3. क्षति (Injury) : कम उम्र में किसी अपघात या अधिक कार्य करने से जोड़ो को क्षति पहुचने से Osteoarthritis हो सकता हैं। 
4. महिलाओ (Ladies) : पुरुषो की तुलना में महिलाओ में Osteoarthritis का प्रमाण अधिक पाया जाता हैं। रोजोनिवृत्ति के बाद शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव और कैल्शियम की कमी यह एक कारण हो सकता हैं। 
5. अनुवांशिकता (Hereditary) : जिन लोगो का Osteoarthritis का पारिवारिक इतिहास हैं उन्हें Osteoarthritis होने का जोखिम अधिक होता हैं। 

संधिवात के क्या लक्षण होते है ? (Osteoarthritis symptoms in Hindi)

Osteoarthritis में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं :
1. दर्द : चलते समय जोड़ो में दर्द या जलन होना Osteoarthritis का लक्षण हैं। अगर यह दर्द सोते समय या लगातार बना रहता है तो यह इस बात का संकेत हैं की आपका Osteoarthritis बिगड़ रहा हैं। 
2. जकडन : Osteoarthritis के रोगियों में सबह के समय जोड़ो में जकड़न के कारण उठना मुश्किल होता हैं। धीरे-धीरे दिन में यह जकड़न कम हो सकती हैं। दिन में लम्बे समय तक स्थिर बैठे रहने से भी जोड़ो में जकड़न हो सकती हैं। 
3. कमजोर मांसपेशी : Osteoarthritis के रोगियों में जोड़ो के आस पास के मांसपेशियों में कमजोरी एक आम लक्षण हैं। 
4. सुजन : जोड़ो में दर्द के साथ, जोड़ो में सुजन आना एक आम लक्षण हैं। 
5. जोड़ो में आवाज आना : जोड़ो में cartilage की कमी के कारण हड्डिया एक दुसरे पर घिसने से कट-कट आवाज आ सकता हैं। 
6. जोड़ो की विरूपता : लंबे समय से Osteoarthritis होने पर जोड़ में विरूपता आकर जोड़ तेडे-मेंडे हो सकते हैं।

संधिवात का निदान कैसे किया जाता हैं ? (Osteoarthritis diagnosis in Hindi)

Osteoarthritis का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरीको का इस्तेमाल करते हैं। इसमें शामिल हैं :
1. सवाल : डॉक्टर आपको आपके लक्षणों का वर्णन करने के लिए कहते है और साथ ही कई सवाल करते है जैसे की यह लक्षण कब और कैसे शुरू हुए, क्या लक्षणों में कोई बदलाव हैं, आपके किसी अन्य रोग या अपघात का इतिहास, पारिवारिक इतिहास इत्यादि। 
2. शारीरिक परिक्षण : इसमें डॉक्टर आपके तकलीफदेह जोड़ की परीक्षा, चलने-फिरने, झुकने तथा दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता जांच, मांसपेशियों की ताकत इत्यादि जांच करते हैं।3. परिक्षण : जरुरत पड़ने पर क्षतिग्रस्त जोड़ का एक्स-रे या MRI करने की सलाह दे सकते हैं जिससे की जोड़ को कितनी क्षति पहुची है इसका अंदाजा आ सके। साथी ही शरीर में किसी संक्रमण या कैल्शियम जांच के लिए रक्त की जांच भी की जा सकती हैं। 

संधिवात का उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Osteoarthritis treatment in Hindi)

Osteoarthritis का उपचार करने के लिए कई तरीको का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

1. वजन नियंत्रण : सामान्य से अधिक वजन के कारण जोड़ो को क्षति पहुचकर  Osteoarthritis हो जाता हैं। सफल वजन नियंत्रण कर हम जोड़ो पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को कम कर जोड़ो को बचा सकते हैं। संतुलित आहार-विहार, व्यायाम और योग से हम अपना वजन नियंत्रण में कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए यह पढ़े : वजन नियंत्रण के उपाय

2. व्यायाम : Osteoarthritis के साथ ही, व्यायाम आपके सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा होना चाहिए। नियमित व्यायाम करने से मन:स्तिथि में सुधार होता हैं, दर्द घटता हैं और सामान्य स्वास्थ्य का लाभ होता हैं। ध्यान रखे की गलत तरह से व्यायाम करने से या गलत व्यायाम करने से समस्या हो सकती हैं। पर्याप्त वार्म उप के साथ व्यायाम की शुरुआत करे तथा धीरे धीरे व्यायाम को बढ़ाये। क्षति के जोखिम को कम करने के लिए व्यायाम करते समय बिच में कुछ समय विश्रांति करना चाहिए। आप अपने डॉक्टर की सलाह से अपने क्षमता अनुसार 3 प्रकार का व्यायाम कर सकते हैं :

a) कार्डियो व्यायाम – इसमें चलना, साइकिल चलाना और तैराकी करना शामिल हैं। कार्डियो व्यायाम से ह्रदय स्वस्थ रहता हैं और वजन नियंत्रण में रहता हैं। 
b) शक्तिवर्धक व्यायाम – Physiotherapist की सलाह अनुसार आप अपने जोड़ो की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शक्तिवर्धक व्यायाम कर सकते है। आप योगा विशेषज्ञ की सलाह अनुसार योगासन कर अपने जोड़ो को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। ऐसा करने से कुप्रभावित जोड़ो को सहारा मिलेगा और लक्षणों की कमी के साथ आगे होने वाले क्षति को रोकने में मदत मिलेंगी। 
c) लोच बढाने वाले व्यायाम – जोड़ को सक्रीय रखने के लिए खिचाव वाले या जोड़ विशेष व्यायाम किया जा सकता हैं। 

3. विश्राम – अपने उम्र और क्षमता अनुसार कार्य करने के बाद, कुप्रभावित जोड़ो को पर्याप्त विश्राम देना भी बहुत जरुरी हैं। एक उम्र के बाद अत्याधिक श्रम करने से भी जोड़ो को नुकसान पहुच सकता हैं। आपको अपने जोड़ो के संकेत को पहचानना सीखना चाहिए के उन्हें कब विश्राम की जरुरत हैं। विश्राम करते समय भी हमें सही तरीके से बैठना या सोना चाहिए।  

4. दवा : जोड़ो के दर्द निवारण के लिए कई तरह की दवा का इस्तेमाल किया जाता हैं। जैसे की :
a) जोड़ो पर लगाने की दवा – जोड़ो का दर्द कम करने के लिए, जोड़ो पर लगाने का दवायुक्त मलम, तेल या स्प्रे। 
b) मौखिक दवा – मौखिक दर्दनाशक दवा ( Aceclofenac, Etoricoxib, Indomethacin, Naproxen) जो की सुजन और दर्द कम करती हैं। इनका उपयोग ज्यादा नहीं करना चाहिए। 
c) Cartilage पूरक – ग्लुकोसामिन सल्फेट / कोनद्रोटीन जैसे cartilage को मजबूती देनेवाली दवा। 

5. ऑपरेशन / सर्जरी – अगर जोड़ गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त है, असहनीय दर्द है और दैनंदिन कामकाज में भारी कमी आ गयी है तो ओपरेशन कर कृत्रिम जोड़ (Knee Replacement) लगा सकते हैं। कृत्रिम जोड़ 10 से 15 वर्ष तक चल सकता हैं। 

संधिवात का आयुर्वेदिक उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Osteoarthritis Ayurveda treatment in Hindi)

आयुर्वेद में Osteoarthritis का उपचार किया जा सकता है। रोगी के लक्षण अनुसार स्नेहन, स्वेदन के साथ बस्ती पंचकर्म करने से रोगी को काफी राहत मील सकती हैं। पंचकर्म के साथ आयुर्वेदिक औषधी और योग्य पथ्य पालन बेहद जरुरी हैं। मेडिकल पर मिलने वाले प्रायोजित दवा लेने की जगह अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेकर ईलाज कराना जरुरी हैं। 

संधिवात में कैसा आहार लेना चाहिए ? (Osteoarthritis diet in Hindi)

समतोल आहार लेना चाहिए – भोजन तजा हो और अत्याधिक पका न हो। भोजन में रेशे जो की ताजा फलो और कच्ची सब्जियों में पाए जाते हैं। चीजो को तलने की जगह भुन कर खाना चाहिए। आप अदरक और हल्दी का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इसमें सुजन कम करने के गुणधर्म हैं। भोजन में पर्याप्त मात्रा में Vitamin E होना चाहिए जो की मक्का, सुका मेवा और सूर्यमुखी के तेल में पाया जाता हैं। फ़ास्ट फ़ूड, चीनी और मिठाई से दूर रहे।

संधिवात में क्या एहतियात बरते ?

संधिवात के रोगी ने निम्नलिखित एहतियात बरतने चाहिए :
1. सामान उठाने के लिए अपने अपेक्षाकृत रूप से बड़े तथा शक्तिशाली जोड़ का प्रयोग करे। 
2. चलते समय जोड़ो को सुरक्षित रखने के लिए छड़ी या अन्य विशेष उपकरण का उपयोग करे। 
3. सक्रिय बने रहे। 
4. अधिक समय तक एक ही शारीरिक मुद्रा में न रहे। लंबे समय तक खड़े रहने की जरुरत होने पर एक पैर डिब्बे या स्टूल पर रखे जिससे पीठ का तनाव कम हो। सदैव कोशिश करे की आपके जोड़ खुले रहे न की मुड़े रहे। 
5. सोने के पहले गर्म पानी से स्नान करे। इससे मांसपेशियों को तनाव से राहत मिलाती हैं और जोड़ो को आराम मिलता हैं। 
6. डॉक्टर की सलाह अनुसार मसाज करे। 
7. पर्याप्त मात्रा में नींद लेना चाहिए। घुटना मोड़ कर या घुटने के बिच में तकिया लगाकर न सोए। 
8. हमेशा आनंदित और सकारात्मक रहे। 
9. बड़े काम को ऐसे छोटे छोटे हिस्सों में बांट ले जिन्हें की आप कर सकते हैं। 
10. समय पर डॉक्टर से जांच कराते रहे और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करते रहे। 

जरूर पढ़े – जोड़ों के दर्द का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार 

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