Delivery के बाद कौन सा Yoga कर सकते है ?

प्रसव / Delivery अर्थात एक स्त्री के लिए अपना पुनर्जन्म। एक नन्ही जान को इस दुनिया में लाने के लिए एक महिला को कई तकलीफों से गुजरना होता है। Delivery के बाद भी शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाये रखना बहुत जरूरी होता है। Delivery के बाद अपने body का बिगड़ा हुआ figure पुनः पहले जैसा करने के लिए आप Yoga का सहारा ले सकती हैं। 

Delivery के 6 से 7 सप्ताह के बाद आप Yoga और Exercise करना शुरू कर सकते हैं। Yoga करने से आपका weight loss तो होगा ही साथ ही muscles भी strong होंगे और body की flexibility भी बढ़ेंगी। आप Delivery के बाद कौन से Yoga कर सकते है और यह yoga कैसे करना है इसकी जानकारी इस लेख में हम देने जा रहे हैं। 

Yoga after delivery की जानकरी निचे दी गयी हैं :

Delivery के बाद कौन सा Yoga करे ? 

Normal Delivery यानि बच्चा पैदा होने के 6 से 7 सप्ताह के बाद और Cesarean delivery होने के 8 से 10 सप्ताह बाद आप निचे दिए हुए yoga कर सकते हैं।

1) ॐ उच्चारण

  • सर्वप्रथम पद्मासन की स्तिथि में बैठे। 
  • आंख बंद करके, मन एकाग्र करके, श्वास को अंदर लेकर हुए नीचे दिए हुए तरीके से ओम का उच्चारण करें।
  • अ :- 2 सेकंद तक ( ओंठ खुले )
  • ओ :- 3 सेकंद तक ( ओंठ आधे खुले )
  • म :- 5 सेकंद तक ( ओंठ पूरे बन्द )
  • ओम का उच्चारण करते हुए श्वास को बाहर छोड़िए। 

ॐ उच्चारण के फायदे 

  • डिप्रेशन व तनाव से मुक्ति यह इसका सब से बड़ा फायदा है। 
  • स्मरणशक्ति बढ़ती है।
  • मानसिक, आत्मिक शांति मिलती है। 
  • अन्तःस्त्रावी ग्रन्थि की कार्यक्षमता बढ़ती है।  
  • अनिद्रा की शिकायत दूर होती है। 
  • शारीरिक मेद कम होने में मदत मिलती है।

2) पादहस्तासन 

  • दोनों पैरो पर सीधे खड़े हो जाए और पैरो को एक दुसरे से मिलाकर रखे। 
  • धीरे-धीरे सामने की ओर झुकना हैं। 
  • दोनों हाथो को पैरो के बाजू मे रख कर भूमि को स्पर्श करे। 
  • माथे को घुटने से लगाने का प्रयास करे। 
  • ध्यान रहे की आपका घुटना सीधा रहना चाहिए। 

पादहस्तासन के फायदे

  • यह पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी कम करता हैं
  • कब्ज को दूर करता हैं
  • मेरुदंड लचीला बनाता है 
  • पाचन प्रणाली मजबूत करता हैं। 

3) जालंधर बंध व मूल बंध

  • पद्मासन या सिद्धासन में बैठिए। 
  • हाथों को घुटनों पर रखें। 
  • संपूर्ण शरीर को शिथिल करके आंखें बंद कर ले बंद कर ले। 
  • दीर्घ श्वास लेने के बाद अंतर कुंभक लगाएं लगाएं सिर को सामने झुका कर ठुड्डी को छाती पर दबाइए।
  • हाथों को सीधा करके बल डालते हुए स्थिर हो जाइए। 
  • दोनों कंधों को एक साथ साथ थोड़ा ऊपर की ओर खिंचाव ऊपर की ओर खिंचाव करते हुए कुछ सामने रखिए। 
  • फलतः पूरा शरीर कड़क व स्थिर होगा। यह जालंधर बंध का स्वरुप है। 
  • अब मूलाधार प्रदेश के स्नायुओं में आकुंचन प्रसारण क्रिया करते हुए ऊपर की ओर खींचे। 5 से 6 सेकंद रुकिए। 
  • अपनी क्षमता अनुसार जब तक अन्तः कुंभक लगाए रखेंगे तब तक आकुंचन प्रसारण किया जारी रखें। तत्पश्चात स्नायु को शिथिल करके बंद खोलने के पश्चात धीरे-धीरे रेचक करें। 

जालंधर और मूलबंध के फायदे 

  • इस क्रिया से अपान वायु का योग प्राणवायु से होता है, फलतः ऊर्जा उतपन्न होकर कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। 
  • योनि मार्ग व गुदद्वार की ढीली हुई मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। 
  • शरीर के 72 तंत्रिकाओं की शुद्धि होती है। 
  • ओज शक्ति को जागृत करने में इस आसन से सहायता मिलती है। 

4) त्रिकोणासन

  • त्रिकोणासन योग करते समय शरीर का आकार त्रिकोण (Triangle) के समान होने के कारण इसे  त्रिकोणासन या Triangle Pose कहा जाता हैं। 
  • मोटापे से परेशान लोगो के लिए यह सबसे सरल और उपयोगी आसन हैं। 
  • त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास करने से आपके पेट, कमर, जांघ और नितंब पर जमी अतिरिक्त चर्बी को आसानी से घटाया जा सकता हैं।
  • त्रिकोणासन कैसे करते यह जानने के लिए यह पढ़े – त्रिकोणासन की विधि और लाभ 

5) शलभासन

  • शलभासन योग करते समय शरीर का आकार शलभ (Locust) किट की तरह होने के कारण इसे  शलभासन या Locust pose कहा जाता हैं। 
  • कमर और पीठ के स्नायु मजबूत करने के लिए यह एक श्रेष्ठ आसन हैं।
  • पढ़े – शलभासन की विधि और फायदे 

6) पर्वतासन

  • सूर्यनमस्कार में यह आसन step 5 और step 8 में किया जाता हैं। 
  • यह आसन हाथ-पैर के स्नायु तथा मेरुदंड को मजबूती प्रदान करता हैं। 
  • पर्वतासन कैसे करते है यह जानने के लिए पढ़े – पर्वतासन की विधि 

7) पश्चिमोत्तानासन

  • Spine को लचीला बनाने और पेट की चर्बी कम करने के लिए यह एक उत्तम आसन हैं। 
  • आगे की ओर झुकनेवाले इस आसन के अभ्यास के उपरांत यह पाया गया है की व्यक्ति अपने आप में परिवर्तन का अनुभव करता हैं। उनके स्वास्थ्य और स्वभाव में अधिक अंतर आता हैं। वह अपेक्षाकृत अधिक समझदार और ग्रहणशील बन जाता हैं। 
  • पढ़े – पश्चिमोत्तानासन योग की विधि और फायदे 

8) सर्वांगासन

  • सर्वागासन में संपूर्ण शरीर का व्यायाम होता है और इसीलिए इसे सर्व-अंग-आसन = सर्वांगासन यह नाम दिया गया हैं। 
  • अंग्रेजी में इस आसन को Shoulder Stand Pose कहा जाता हैं। 
  • कुछ योग विशेषज्ञ तो इस आसन को अन्य सभी आसनों की जननी भी कहते हैं।
  • यह yoga शारीरिक थकान और दुर्बलता दूर करता हैं। 
  • पढ़े – सर्वांगासन की विधि और फायदे 

9) शवासन 

  • शरीर की थकान दूर करने के लिए और मन को शिथिल करने के लिए शवासन योग सर्वश्रेष्ठ आसन हैं।
  • इस आसन में हमें शव (Dead body) के समान निचेष्ठ लेटना होता हैं और इसीलिए इसे शवासन यह नाम दिया गया हैं। 
  • पढ़े – कैसे करे शवासन योग ?

10) कपालभाति Kapalbhati after Pregnancy in Hindi

  • कपालभाती’ यह एक संस्कृत शब्द है। ‘कपाल’ का मतलब होता है माथा / Forehead और ‘भाती’ का मतलब होता है प्रकाश / Light। रोज नियमित कपालभाती करने से व्यक्ति का माथा / चेहरे पर कांती या चमक आती है। 
  • चेहरे पर चमक होना स्वस्थ और निरोगी व्यक्ति की पहचान होती है। कपालभाती यह एक प्राणायाम का चमत्कारी प्रकार है जिसके कई सारे फायदे है।
  • मोटापा कम करने में यह बेहद मददगार yoga हैं। 
  • Normal delivery के 8 सप्ताह बाद और Cesarean delivery के 10 से 12 सप्ताह बाद आप कपालभाति कर सकते हैं। 
  • पढ़े – कपालभाति प्राणायाम की विधि और फायदे 

इस तरह delivery के बाद आप इन आसनों को नियमित रूप से करके अपने figure को पूर्ववत कर सकते है व maintain रख सकते है।
अगर आपको यह Yoga after Pregnancy and Delivery in Hindi यह लेख उपयोगी लगता है तो कृपया इसे share अवश्य करे।  

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