Kidney Dialysis क्या होता हैं ?

जब Kidney Failure के कारण रोगी की दोनों किडनी काम करना बंद कर देती है तब रोगी को डायलिसिस / Dialysis की जरुरत पड़ती हैं। किडनी हमारे शरीर में रक्त शुद्धिकरण का कार्य करती हैं और उसके ख़राब हो जाने पर रोगी के शरीर में विषैले तत्वों की संख्या बढ़ जाती है जिसके कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती हैं।

जब रोगी की दोनों किडनी काम करना बंद कर देती है तब किडनी के कार्य को मशीन की सहयता से कृत्रिम रूप से करने की विधि को डायलिसिस कहते हैं। किडनी डायलिसिस के कारण रोगी की दोनों किडनी पूरी तरह से ख़राब हो जाने पर भी लम्बे समय तक जिन्दा रखा जा सकता हैं।

किडनी डायलिसिस क्या है, इसके प्रकार क्या है और यह कैसे किया जाता है इसकी जानकारी इस लेख में निचे दी गयी हैं :

किडनी डायलिसिस क्या हैं ? What is Kidney Dialysis in Hindi

डायलिसिस क्या है और इसकी जरुरत कब पड़ती हैं ?

जैसे की हमने ऊपर पढ़ा हैं, जब रोगी की दोनों किडनी काम करना बंद कर देती है तब किडनी के कार्य को मशीन की सहयता से कृत्रिम रूप से करने की विधि को डायलिसिस कहते हैं। जब रोगी के किडनी की कार्यक्षमता 90% तक कम हो जाती हैं और शरीर में क्रिएटिनिन और यूरिया जैसे विषैले तत्व की मात्रा बढ़ने लगती है तब डायलिसिस की जरुरत पड़ती हैं।

डायलिसिस मशीन क्या कार्य करता हैं ?

डायलिसिस मशीन लगभग वही कार्य करती है जो किडनी हमारे शरीर में करती हैं। जैसे की :
  1. रक्त में बढे हुए विषैले तत्व जैसे की क्रिएटिनिन, यूरिया आदि को बाहर निकालकर रक्त की शुद्धि करना।
  2. शरीर में पानी का प्रमाण नियंत्रित करना।
  3. रक्त में सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, मैग्नीशियम आदि इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा नियंत्रित करना।
  4. रक्त में एसिड की मात्रा को नियंत्रित करना।
क्रोनिक किडनी फेलियर (CRF) के रोगियों को डायलिसिस की आवश्यकता बार-बार पड़ती हैं। रोगी की किडनी कैसे कार्य कर रही हैं और रोगी कैसा आहार ले रहा है इस पर डायलिसिस की कितनी आवश्यकता पड़ती है निर्भर करता हैं।

किडनी डायलिसिस के कितने प्रकार हैं ? Dialysis types in Hindi

किडनी डायलिसिस के प्रमुख दो प्रकार हैं :
  1. Haemodialysis / हिमोडायलिसिस – इस प्रकार के डायलिसिस में Haemodialysis मशीन और एक विशेष प्रकार के क्षारयुक्त द्रव्य की सहायता से रक्त की शुद्धि की जाती हैं। यह प्रक्रिया कम खर्चीली होने के कारण इसका उपयोग ज्यादा होता हैं।
  2. Peritoneal Dialysis / पेरिटोनियल डायलिसिस – इस प्रकार के डायलिसिस में पेट में एक खास प्रकार की नली जिसे P D Catheter कहते है, उसे डालकर एक विशेष क्षार युक्त द्रव्य डालकर रक्त की शुद्धि की जाती हैं।

हिमोडायलिसिस में कृत्रिम किडनी की कृत्रिम झिल्ली और पेरिटोनियल डायलिसिस में पेट की पेरिटोनियम झिल्ली semipermeable membrane की तरह काम करती है जिसमे से शरीर के लिए अनावश्यक विषैले तत्वों तो निकल सकते है पर शरीर के लिए जरुरी तत्व जैसे रक्त कण नहीं निकल पाते हैं। झिल्ली की एक तरफ डायलिसिस का द्रव्य होता है तो दूसरी तरफ रक्त होता हैं।

हिमोडायलिसिस कैसे किया जाता हैं ? Haemodialysis in Hindi

  • हिमोडायलिसिस प्रक्रिया हॉस्पिटल में या तो डायलिसिस सेंटर से डॉक्टर और नर्स के देखरेख में किया जाता हैं।
  • हिमोडायलिसिस मशीन में पंप की सहायता से रोगी का 250 से 300 ml रक्त हर मिनिट कृत्रिम किडनी में शुद्धिकरण के लिए भेजा जाता हैं।
  • खून का थक्का न बने इसलिए हिपारिन दवा का उपयोग किया जाता हैं।
  • रोगी के शरीर में दो नली (IV line) लगायी जाती है जिसमे में से एक से खून मशीन में जाता है और दूसरे नली से शुद्ध रक्त रोगी के शरीर में पहुंचाया जाता हैं।
  • हिमोडायलिसिस में रक्त शरीर से बाहर निकलने के लिए डबल ल्यूमेन कैथिटर, ए वी फिस्टुला या ग्राफ्ट विधि का उपयोग किया जाता हैं।
  • खून शुद्ध होने के बाद फिर से शरीर में पहुंचाया जाता हैं।
  • हिमोडायलिसिस की प्रक्रिया 3 से 4 घंटे तक चलती है जिसमे लगभग 12 बार रक्त की शुद्धि होती हैं।
  • रोगी को सामन्यतः हफ्ते में 3 बार इसकी जरुरत पड़ती हैं।
  • यह काफी आसान प्रक्रिया है और इसमें रोगी किताब, अखबार पढ़ सकता है, टीवी देख सकता हैं।
  • हिमोडायलिसिस करने से पहले रोगी का वजन देख जाता है ताकि पिछले बार से कितना वजन बढ़ा है और शरीर में पानी जमा हुआ है इसका अंदाजा लग सके।
  • खून की कमी होने पर रोगी को खून चढ़ाना पढ़ सकता हैं।
  • रोगी को प्रक्रिया समझने पर रोगी घर पर भी होम हिमोडायलिसिस मशीन से यह विधि कर सकता हैं।

पेरिटोनियल डायलिसिस कैसे किया जाता हैं ? Peritoneal Dialysis in Hindi

पेरिटोनियल डायलिसिस में पेट में एक खास प्रकार की नली जिसे P D Catheter कहते है, उसे डालकर एक विशेष क्षार युक्त द्रव्य डालकर रक्त की शुद्धि की जाती हैं। हमारे पेट के अंदर सभी अंगो को जकड़कर रखने वाली एक झिल्ली / membrane होती है जिसे Peritoneum कहते हैं। यह झिल्ली चलनी / semipermeable होती हैं।
पेरिटोनियल डायलिसिस के प्रकार 
  1. Intermittent Peritoneal Dialysis – यह पेरिटोनियल डायलिसिस की प्रक्रिया 36 घंटो तक चलती हैं और हर 3 से 5 दिनों में इसे दोहराना पड़ता हैं।
  2. Continuous Ambulatory Peritoneal Dialysis – यह पेरिटोनियल डायलिसिस विकसित देशों में किया जाता है जिसमे रोगी घर पर स्वयं बिना मशीन के पेरिटोनियल डायलिसिस कर सकता हैं।
  3. Continuous Cyclic Peritoneal Dialysis – इस पेरिटोनियल डायलिसिस में स्वचालित साईकलर मशीन का उपयोग किया जाता हैं। यह इलाज कुल 8 से 10 घण्टे का होता हैं। इस दौरान रोगी नियमित गतिविधि कर सकता हैं।

डायलिसिस का दुष्परिणाम क्या हैं ? Dialysis side effects  in Hindi

  • डायलिसिस की सुविधा हर जगह उपलब्ध न होने के कारण बार-बार बड़े शहर में जाने का खर्चा उठाना पड़ता हैं।
  • स्वच्छता का पालन न करने पर संक्रमण फैलने का डर रहता हैं।
  • खाने में विशेष परहेज रखना पड़ता हैं।
  • रोगी को हर बार सुई का दर्द उठाना पड़ सकता हैं।
  • डायलिसिस यूनिट चालू करना बेहद खर्चीला हैं।
  • डायलिसिस का मतलब यही नहीं होता है की आपकी किडनी ठीक हो जाएगी। इसमें सिर्फ आप के खून की सफाई होती है और बार-बार इस प्रक्रिया की जरुरत पड़ती हैं।

रोगी को कौन सा डायलिसिस करना चाहिए ? Best Dialysis in Hindi

रोगी के लिए कौन सा डायलिसिस प्रक्रिया योग्य है इसका चयन रोगी की शारीरिक और आर्थिक स्तिथि देखकर केवल डॉक्टर ही तय कर सकते हैं। दोनों डायलिसिस प्रक्रिया का फायदे और नुकसान होते है पर जो विधि रोगी के लिए बेहतर है उसकी जानकारी रोगी को दी जाती हैं।
डायलिसिस की प्रक्रिया सफल होने के लिए रोगी का अनुशासित होना बेहद जरुरी होता हैं। समय पर डायलिसिस करना और आहार विशेषज्ञ की सलाह से खाने में परहेज का पालन करना आवश्यक होता हैं। इस लेख में हमने डायलिसिस की संक्षिप्त जानकारी दी हैं। अधिक जानकारी आप अपने डॉक्टर से ले सकते हैं।
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