Preeclampsia का कारण, लक्षण और उपचार क्या हैं ?

गर्भावस्था में महिला का रक्तचाप / Blood Pressure का बढ़ जाना बेहद खतरनाक होता हैं। ऐसी महिला जिसका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता था पर गर्भावस्था के सामान्यतः 20 हफ़्तों के बाद blood pressure सामान्य से अधिक बढ़ रहा हैं, ऐसी स्तिथि को मेडिकल की भाषा में Preeclampsia कहा जाता हैं। 

दुनियाभर में लाखों महिलाएं Hypertension से परेशान है। Pregnancy के दौरान यह और भी खतरनाक होता है। इस दौरान हाई ब्लड प्रेशर की यह स्थिति Preeclampsia कहलाता है जो कि बच्चा और माँ दोनों के लिए जानलेवा हो सकती है। Preeclampsia की स्तिथि को ठीक करना बेहद कठिन होता हैं इसलिए गर्भावस्था में नियमित जांच कर इसे शुरुआती दौर में ही उपचार कर काबू में करना आवश्यक होता हैं। 

Preeclampsia क्यों होता हैं, इसके लक्षण क्या हैं और इसका उपचार कैसे किया जाता है इसकी जानकारी निचे दी गयी हैं :



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Preeclampsia का कारण, लक्षण और उपचार क्या हैं ?

Preeclampsia का कारण क्या हैं ? Causes of Preeclampsia in Hindi

Preeclampsia का कोई ठोस कारण अभी तक किसी को पता नहीं चला हैं। विशेषज्ञों के अनुसार निचे दिए हुए महिलाओं में Preeclampsia होने की आशंका अधिक होती हैं। जैसे की :
  1. पहला गर्भ / First Pregnancy
  2. मोटापा / Obesity
  3. शुगर / Diabetes, उच्च रक्तचाप / Hypertension या गुर्दे की बीमारी / Kidney disease
  4. गर्भ के दौरान धूम्रपान / Smoking
  5. गर्भ में एक से अधिक बच्चा होना
  6. अनुवांशिक (Hereditary) लक्षण जैसे मां या बहन को यह बीमारी हो
  7. 20 साल से कम या 40 साल से अधिक की उम्र (Age)
  8. दो प्रेगनेंसी के बिच दो साल से कम अंतर या 10 साल से अधिक अंतराल रहना

Preeclampsia के लक्षण क्या हैं ? (Signs and Symptoms of Preeclampsia in Hindi) 

Preeclampsia में निचे दिए हुए लक्षण नजर आते हैं :

  1. सिर में दर्द
  2. पेट के ऊपरी हिस्से में दाई ओर  दर्द होना
  3. देखने में परेशानी व धुंधलापन
  4. चेहरे और हाथ पैर में सूजन होना
  5. उल्टी
  6. चक्कर आना
  7. तेजी से वजन का बढ़ना
  8. पेशाब कम होना
  9. कभी-कभी दौरे भी पड़ने लगते हैं जिसे Eclampsia कहते हैं।
  10. कुछ मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखता है। जब मरीज की हालत खराब होने लगती है तो जांच के बाद ही पता चलता है।
  11. आपका ब्लड प्रेशर 140/90 या इससे अधिक रहना
  12. पेशाब जांच में प्रोटीन आना
  13. रक्त परिक्षण में प्लेटलेट्स की मात्रा कम आना
  14. फफड़ों में पानी भर जाने से सांस लेने में दिक्कत  होना

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Preeclampsia में महिला क्या ख्याल रखे ?

  • गर्भधारणा के दौरान रक्तचाप की नियमित जांच कराएं। अगर ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो फिजिसियन की सलाह पर नियमित दवा लें।
  • नमक का कम इस्तेमाल करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • धुम्रपान या शराब का सेवन बिल्कुल ना करें।

Preeclampsia से क्या समस्या निर्माण हो सकती हैं ?

  • प्लेसेंटा को कम खुन पहुंचता है जिससे गर्भस्थ शिशु का विकास धीमा होता है।
  • प्लेसेंटा को नुकसान हो सकता है।
  • मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
  • जन्म के समय बच्चों का वजन बहुत कम होता है।
  • बच्चा जन्मजात विकृतियों का शिकार हो सकता है।
  • गर्भावस्था में अत्याधिक रक्तस्त्राव हो सकता है।
  • गर्भवती को दौरा पड़ सकता है।

Preeclampsia का उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Treatment and Home Remedies of Preeclampsia in Hindi Language)

Preeclampsia के उपचार की जानकारी निचे दी गयी हैं :

  1. Preeclampsia का सबसे बेहतर उपचार है डिलीवरी कराना। अगर गर्भावस्था के 36 हफ़्तों से अधिक हुए है तो डॉक्टर दवा देकर प्रसव / Delivery कराते है या फिर cesarean ऑपरेशन करवाते हैं।
  2. अगर डिलीवरी में अभी समय है और बच्चा पूरी तरह विकसित नहीं है तो डॉक्टर दवा देकर Preeclampsia को नियंत्रण में रखने की कोशिश करते हैं। Preeclampsia से पीड़ित महिला को निचे दी हुई सुचना / उपचार दीया जाता हैं :
  • आराम / Rest : महिला को घर या हॉस्पिटल में आराम करना चाहिए। सोते समय बाये करवट (left side) पर सोना चाहिए।
  • बार-बार थोड़े अंतराल से बच्चे के heart sounds और पेट की सोनोग्राफी की जांच करानी चाहिए।
  • रक्त और पेशाब की जांच नियमित समय पर करनी चाहिए।
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के लिए नियमित दवा लेनी चाहिए।
  • दौरे न आये इसके लिए डॉक्टर की सलाहनुसार दवा लेना चाहिए।
  • बच्चे के फेफड़े / Lungs जल्द पूर्ण विकसित हो इसके लिए विशेष इंजेक्शन लेना चाहिए।
  • खाने में नमक का इस्तेमाल मर्यादित रखे। अधिक नमक वाली चीजे जैसे पापड़, अचार, नमकीन, चिप्स जैसे आहार कम रखे।
  • डॉक्टर की सलाहनुसार मर्यादित मात्रा में पानी पिए।
  • ब्लड प्रेशर का रिकॉर्ड रखे।

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गर्भावस्था हर महिला के जीवन का एक बेहद मुशिकल और महत्वपूर्ण पड़ाव होता हैं। आपकी गर्भावस्था में कोई दिक्कत न हो इसलिए जरुरी है की अपनी प्रेगनेंसी पहले से डॉक्टर की सलाह से चेकअप कर प्लान करे और पप्रेग्नेंट होने पर डॉक्टर की सलाह से नियमित अपना चेकअप कराये और अपने आहार-विहार का ख्याल रखे।

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